विदिशा

दलित सरपंच को नहीं फहराने दिया तिरंगा झंडा: सरपंच ने कहा मेरे पद और जाति का अपमान किया

आनंदपुर डेस्क :

अपने आप को दलित हितेशी कहने वाली शिवराज सरकार का एक बार फिर दलित विरोधी चेहरा सामने आया है। जब पूरा देश आजादी का 77वा स्वाधीनता दिवस मना रहा था तब मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के भागवंतपुर ग्राम पंचायत में एक दलित सरपंच को तिरंगा झंडा नहीं फहराने दिया।  इस बात से नाराज सरपंच ने इसकी शिकायत आला अधिकारियों से की। दरअसल भगवंतपुर ग्राम पंचायत के सरपंच बारेलाल अहिरवार का कहना है कि स्कूल की शिक्षिका मुझसे एससी/एसटी वर्ग का होने से चिड़ती है वह कहती है कि तुम नीचे जात के हो तुम क्या जानो?

आज स्वतंत्रता दिवस पर मुझे स्कूल में नहीं बुलाया और किसी और से तिरंगा झंडा फहरावा दिया। जबकि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरपंच को ही तिरंगा झंडा फहराने का अधिकार है। इस मामले में सिरोंज एसडीएम हषर्ल चौधरी ने संज्ञान लिया है और जांच करवा कर कार्रवाई करने की बात कही है।

यह परंपरा का उल्लंघन है

मौके पर मौजूद पंचायत सचिव अमीर हमजा ने कहा है कि अभी तक ऐसा होता रहा है कि पंचायत भवन में सरपंच तिरंगा झंडा फहराते हैं फिर इसके बाद स्कूल जाकर झंडा फहराते हैं इसके लिए सरपंच को विधिवत सूचना दी जाती है लेकिन सरपंच का कहना है कि इस उन्हें इस बार उन्हें सूचना नहीं दी गई। स्कूल प्रिंसिपल ने किसी और से झंडा करवा दिया और सरपंच बारेलाल पंचायत भवन में ही बैठे रहे। इस घटना से आहत बारेलाल ने कहा है यहां मेरे पद और जाति का अपमान है।

आप जानते हैं नियम क्या कहते हैं

भगवंतपुर मामले पर पंचायत इंस्पेक्टर विनोद श्रीवास्तव और बीईओ सुग्रीव सिंह बिसेन का कहना है कि सरपंच ग्राम सभा का मुखिया होता है इसलिए तिरंगा झंडा फहराने का प्रथम अधिकार सरपंच का ही है सरपंच की अनुपस्थिति में उपसरपंच या अन्य जनप्रतिनिधि भी झंडा फहरा सकता है।  लेकिन ग्राम प्रधान के रूप में सरपंच ही ग्राम सभा का प्रथम व्यक्ति होता है

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