CM आखिर दिल्ली क्यों नहीं गए?: लोकसभा की 29 सीटें जीतकर देने और ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..’ शिवराज सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व को भी उलझन में डाल दिया
न्यूज़ डेस्क :
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर बंपर बहुमत हासिल करने वाली भाजपा में मुख्यमंत्री कैंडिडेट को लेकर सस्पेंस बरकरार है। इस सस्पेंस के बीच शिवराज सिंह चौहान लगातार चौंका रहे हैं। सीएम पद के लिए उम्मीदवारों की सूची में सबसे ऊपर बने हुए शिवराज मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं है।
शिवराज चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली न जाकर विधानसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर फोकस कर रहे हैं। यहां लाड़ली बहना सम्मेलन का आयोजन कर बहनों को जीत का क्रेडिट दे रहे हैं। श्योपुर में उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच अटलजी की कविता ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा…’ सुनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भी उलझन में डाल दिया है।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राजनीतिक बिसात पर शिवराज कोई गहरी चाल चल रहे हैं..क्या वे केंद्रीय नेतृत्व को कोई मैसेज दे रहे हैं?
उनके इस स्टैंड पर वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं, ‘शिवराज हारी हुई सीटों पर दौरे कर अपनी पोजिशनिंग कर रहे हैं। वे ये भी जता रहे हैं कि इस जीत में उनकी योजनाओं का अहम रोल रहा है।’
दैनिक भास्कर ने शिवराज के दौरे और उनके बयानों को डिकोड कर एक्सपर्ट से समझने की कोशिश की।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
श्योपुर में इशारों-इशारों में कई संदेश दिए…
शिवराज 7 दिसंबर को श्योपुर में लाड़ली बहना सम्मेलन में पहुंचे। बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन में भी शामिल हुए। दोनों कार्यक्रमों में उन्होंने कई बातें कहीं..
जीत लाड़ली बहनों को समर्पित- मैं कार्यकर्ताओं की मेहनत को प्रणाम करने आया हूं। कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण ही भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीती हैं। ये ऐतिहासिक जीत, मैं कार्यकर्ताओं और लाड़ली बहनों को समर्पित करता हूं।
मैं तुम्हारा हूं और तुम्हारे लिए खड़ा हूं- सभी कार्यकर्ता एक बार फिर आत्मविश्वास के साथ खड़े हो जाएं। 2024 में प्रदेश की 29 में से 29 सीटें जिताकर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे। मैं वचन देने आया हूं कि मैं तुम्हारा हूं और तुम्हारे लिए खड़ा हूं।
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा- अटल जी ने कहा था कि हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा… काल के कपाल पर लिखता हूं, मिटाता हूं… गीत नया गाता हूं-गीत नया गाता हूं…। अब नया गीत है- श्योपुर जिले से विधानसभा में हम भले नहीं जीते लेकिन लोकसभा में दोनों विधानसभा क्षेत्रों से भारी बहुमत से पार्टी को जिताएंगे। (शिवराज ने यह बात श्योपुर की हारी हुई सीटों के संदर्भ में कही थी।)
भाजपा के एक-एक संकल्प को पूरा किया जाएगा- पहले एक हजार रुपए, फिर 1250 रुपए लाड़ली बहनों के खाते में आए और अब आगे चरणबद्ध तरीके से बढ़ाते हुए इस राशि को 3000 रुपए तक किया जाएगा। अब बहनों को लखपति बनाने का संकल्प है। भाजपा के एक-एक संकल्प को पूरा किया जाएगा। भाजपा अपनी सभी गारंटियों को पूरा करेगी।
मायने- शिवराज ने जाहिर कर दिया कि वे लोकसभा की तैयारी में जुट गए हैं। वे जानते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व के दिमाग में अभी सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव है।
अब सवाल-जवाब में समझते हैं शिवराज की रणनीति के मायने..
सवाल- हारी हुई सीटों पर दौरा कर शिवराज शीर्ष नेतृत्व को क्या संदेश दे रहे हैं?
जवाब- शिवराज दिल्ली पहुंचकर सीएम पद पर अपनी दावेदारी पेश नहीं करना चाहते। वे जानते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व का सबसे ज्यादा फोकस लोकसभा चुनाव जीतने पर है। ऐसे में वे अगले मिशन में जुट गए हैं। इससे वे दिल्ली को ये जताना चाहते हैं कि आपके एजेंडे पर मैंने काम शुरू कर दिया है।
सवाल- अब तक दिल्ली नहीं जाने के क्या मायने हैं? इसकी मार्फत वे क्या संदेश देना चाहते हैं?
जवाब- दिल्ली जाएंगे तो लगेगा कि वे फिर सीएम बनना चाहते हैं। वे यहीं रहकर डिप्लोमेसी से ये काम करना चाहते हैं। जानते हैं कि भाजपा में दावेदारी का कोई मतलब नहीं है। होना वही है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में है।
सवाल- वे जीत का श्रेय मोदी के नेतृत्व और उनके विजन को देने के साथ ही लाड़ली बहना का भी जिक्र क्यों कर रहे हैं?
जवाब- लाड़ली बहना शिवराज का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे हारी हुई सीटों पर जाकर वहां लाड़ली बहनों से मिल रहे हैं। बताना चाहते हैं कि एमपी की जीत लाड़ली बहनों से मिली है। ऐसे में वे ये संदेश भी देना चाहते हैं कि उन्हें दरकिनार किया गया तो लाड़ली बहनें नाराज हो सकती हैं। इसके साथ ही वे दिल्ली से टकराव भी नहीं चाहते इसलिए हर बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को जीत में अहम बताते हैं।
सवाल- दिल्ली नहीं जाऊंगा, छिंदवाड़ा जा रहा हूं.. कहने का क्या ये मतलब है कि वे केंद्र की कोई जिम्मेदारी लेने की इच्छा नहीं रखते?
जवाब- फिलहाल तो यही लग रहा है लेकिन वे खुलकर नहीं बोल सकते। वे जानते हैं कि इस प्रचंड जीत के बाद शिवराज को हाशिए पर धकेलने का खतरा पार्टी भी नहीं लेना चाहेगी।
सवाल- क्या उनके इस रुख को हाईकमान ऑब्जर्व नहीं कर रहा है?
जवाब- निश्चित तौर पर ऑब्जर्व कर रहा होगा लेकिन वे हाईकमान को खुली चुनौती नहीं दे रहे हैं। वे जानते हैं कि इस समय यदि वे पीछे हटे तो हाशिए पर चले जाएंगे। इसलिए अपनी बात कहने के लिए शिवराज स्टाइल की पॉलिटिक्स कर रहे हैं।