भीम आर्मी ने रैली निकाली: भगवंतपुर स्कूल प्राचार्य को बर्खास्त करने की मांग
15 अगस्त को सरपंच से नहीं फहरवाया था तिरंगा
सिरोंज डेस्क :
सिरोंज के ग्राम भगवंतपुर के शासकीय स्कूल में हरिजन सरपंच का झंडा न फेहरा पाने वाला मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल, 15 अगस्त को भगवंतपुर के सरपंच बारेलाल अहिरवार ने आरोप लगाया था कि दलित होने के कारण स्कूल की प्राचार्य ने उनको स्कूल में झंडा फहराने नहीं बुलाया और किसी ओर से झंडा फहरवा दिया।
16 अगस्त की शाम 4.30 बजे करीब भीम आर्मी ने इस संबंध में ज्ञापन देकर भगवंतपुर प्राचार्य को बर्खास्त करने की मांग की। एसडीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि आजादी के 75 साल भी जाति के आधार पर भेदभाव असहनीय है। दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस ने भी ट्वीट कर सरकार को दलित विरोधी बताया है। इससे लगता है कि यह मामला अभी और तूल पकड़ेगा।
यह है पूरा मामला
भगवंतपुर ग्राम पंचायत के सरपंच बारेलाल अहिरवार का कहना है कि स्कूल की शिक्षिका मुझसे दलित होने के कारण चिढ़ाती हैं, वो कहती है कि तुम एसटी/एससी हो तुम क्या जानो? आज स्वतंत्रता दिवस पर मुझे स्कूल में नहीं बुलाया और किसी ओर से तिरंगा झंडा फहरवा दिया। जबकि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरपंच को ही झंडा फहराने का अधिकार है। मामले में सिरोंज एसडीएम हर्षल चौधरी ने संज्ञान लिया है और जांच करवाकर कार्रवाई करने की बात कही।
परंपरा का उल्लंघन
मौके पर मौजूद पंचायत सचिव अमीर हमजा ने कहा कि अभी तक ऐसा होता रहा है कि पंचायत भवन में सरपंच झंडा फहराते है फिर उसके बाद स्कूल जाकर झंडा फहराते है। इसके लिए सरपंच को विधिवत सूचना दी जाती है। मगर सरपंच का कहना है कि उन्हें इस बार सूचना नहीं दी। स्कूल प्रिंसिपल ने किसी ओर से झंडा फहरवा दिया और सरपंच बारेलाल पंचायत भवन में बैठे रह गए। इस घटना से आहत बारेलाल ने कहा कि यह मेरे पद और जाति का अपमान है।
यह है नियम
भगवंतपुर मामले पर पंचायत इंस्पेक्टर विनोद श्रीवास्तव ने कहा कि सरपंच ग्राम सभा का मुखिया होता है, इसलिए झंडा फहराने का प्रथम अधिकार सरपंच का ही है। सरपंच की अनुपस्थिति में उपसरपंच या अन्य जन प्रतिनिधि भी झंडा फहरा सकता है। लेकिन ग्राम प्रधान के रूप में सरपंच ही ग्राम सभा का प्रथम व्यक्ति है। सिरोंज विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुग्रीव सिंह बिसेन ने भी कहा कि स्कूल में झंडा फहराने का अधिकार सरपंच का ही होता है।