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बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर देश के जन नायक थे: भारत सहित दुनिया भर में मनाई जा रही है 133वीं जन्म जयंती

न्यूज़ डेस्क :

Dr. Bhimrao Ambedkar : डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) एक ऐसा नाम है जो नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध है। 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) की जन्म जयंती पूरे भारत ही नहीं दुनिया भर में मनाई जाती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) केवल भारत के संविधान के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि डॉ. भीमराव अंबेडकर सही मायने में तथा सच्चे अर्थ में एक बड़े जन नायक थे। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जीवनी के कुछ जरूरी पहलुओं से हम यहां आपको परिचित करवा रहे हैं।

14 अप्रैल को है डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती

14 अप्रैल 2024 को डा. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) की 133वीं जन्म जयंती मनाई जाने वाली है। डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पूरे भारत में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने डा. भीमराव अंबेडकर का नाम ना सुना हो। उनकी जयंती के पूर्व हम आपको भारत के सच्चे जन नायक डा. भीमराव अंबेडकर से परिचित करा रहे हैं।

आपको बता दें कि बाबासाहेब के नाम से मशहूर डा. भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान निर्माता थे। वे एक महान चिंतक, समाज सुधारक, कानून विशेषज्ञ, आर्थिक विशेषज्ञ, बहुभाषी वक्ता, संपादक तथा पत्रकार थे। उनकी जयंती पर अधिकांश सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहता है हालांकि इस बार यह दिन रविवार को पड़ रहा है। डा. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में एक महार परिवार में हुआ था जिसे उन दिनों निचली जात्ति माना जाता था। भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर दलितों के महान नेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित उत्थान में लगा दिया। उन्होंने हमेशा समानता की बात की फिर चाहे वह मानवों के बीच समानता की बाल हो या फिर कानून के समक्ष समानता की।

संविधान के शिल्पकार थे डॉ. भीमराव अंबेडकर

डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) वो शख्स हैं जिन्होंने भारत को उसका संविधान दिया और कोई भी देश बिना संविधान नहीं चल सकता। बाबा साहेब के नाम से मशहूर डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता और संविधान का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने न सिर्फ संविधान निर्माण का किया बल्कि समाज में दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। बाबासाहेब ने अपना सारा जीवन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में बिता दिया। उन्होंने भारतीय समाज में समानता लाने के काफी प्रयास किए। उन्होंने दलितों और पिछड़ों को उनका अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उन्होंने हमेशा मजदूर वर्ग व महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में जन्मे बाबासाहेब कहा करते थे कि वह ऐसे धर्म को मानते हैं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है। उनका मानना था कि जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए।

बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था। वह दलित थे। वह उस वक्त समाज में व्याप्त भेदभाव से लडक़र अपनी काबिलियत के दम पर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के पद तक पहुंचे। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी दिया गया। वह भारत के किसी कॉलेज में सबसे पहले दाखिला लेने वाले दलित व पिछड़े वर्ग के कुछेक लोगों में से एक थे। दलित होने के चलते शिक्षा के दौरान उन्होंने काफी भेदभाव का सामना किया था।

उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइस से डिग्री ली थी। एमए करने के लिए जब वे अमेरिका गए तब उनकी उम्र महज 22 साल थी। अंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। अंबेडकर ने दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए ‘बहिष्कृत भारत’, ‘मूक नायक’, ‘जनता’ नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकाले। डॉ. अंबेडकर ने देश में श्रम सुधारों में भी अहम भूमिका निभाई। अंबेडकर ने श्रमिक संघों को बढ़ावा दिया और अखिल भारतीय स्तर पर रोजगार कार्यालयों की शुरुआत की।

हमेशा याद किए जाएंगे डॉ. भीमराव अंबेडकर

सबको पता है कि जब तक धरती पर जीवन रहेगा तब तक भारत का महत्व भी दुनिया भर में कायम रहेगा। भारत के महत्व के बीच भारत के शिल्पकार के तौर पर डा. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedka) का नाम हमेशा याद रखा जाएगा। हम कह सकते हैं कि शरीक के तौर पर डा. भीमराव अंबेडकर हमारे बीच में नहीं हैं। किन्तु यह परम सत्य है कि डा. भीमराव अंबेडकर का नाम अमर है। डा. भीमराव अंबेडकर हमेशा अपने नाम के साथ अमर रहेंगे। जल्दी ही हम आपको डा. भीमराव अंबेडकर की पूरी जीवनी से परिचित कराएंगे।

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