
इंदौर डेस्क :
इसरो का जो रॉकेट अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बनाने और चांद पर मानव को भेजकर वापस लाने का काम करेगा, उसके इंजन आरआर कैट की टेक्नोलॉजी से बनाए जाएंगे। इसके लिए बुधवार को इसरो व आरआर कैट के बीच समझौता हुआ। 18 से 24 माह में कैट में एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग आधारित टेक्नोलॉजी बनाई जाएगी, जिसका इस्तेमाल इसरो करेगा।
वर्तमान में इसरो 1 साल में 3 इंजन बना पाता है, पर कैट के साथ मिलकर 1 साल में 25 इंजन बना पाएगा। यह पहला मौका है, जब इसरो द्वारा लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के माध्यम से आरआर कैट के साथ इस स्तर पर काम हो रहा है।
एलपीएससी के डायरेक्टर डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि इस न्यू जेनरेशन लॉन्च व्हीकल- सूर्या की मदद से हम 32 टन के सैटलाइट और पेलोड को अंतरिक्ष में पहुंचा सकते हैं। इससे हम अपना स्पेस स्टेशन भी बना सकते हैं। इसमें 11 इंजन लगेंगे। साथ ही ये रॉकेट एक से ज्यादा बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
आरआर कैट के इन्क्यूबेशन सेंटर पाई-हब के प्रमुख डॉ. सीपी पॉल ने बताया कि इस पर आरआर कैट तो काम करेगा ही, साथ ही हम भी किसी स्टार्टअप को इस प्रोजेक्ट में शामिल करना चाहते हैं। इससे आगे चलकर इस मशीन को बड़े स्तर पर निर्मित करने में भी मदद मिलेगी।
एक साल में एक के बजाय 25 इंजन बना पाएगा इसरो
- अटल इन्क्यूबेशन सेंटर पाई-हब का एक साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में आरआर कैट द्वारा बनाई गई दो टेक्नोलॉजी निजी कंपनी को हस्तांतरित की गई।
- आग का पता लगाने के लिए निर्मित टेक्नोलॉजी ‘अग्निरक्षक’ को बैंगलोर की कंपनी ‘लैब टू मार्केट इनोवेशन्स’ को हस्तांतरित किया गया।
- सिंगल स्टेज 30के क्रायोकूलर टेक्नोलॉजी मुंबई की आरजे इंस्ट्रूमेंट्स को हस्तांतरित की। ये कंपनियां इसी आधार पर प्रोडक्ट बनाकर बाजार में लाएंगी।
- दो कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट भी लॉन्च किए। वी फ्यूज मेटल्स ने अपना 3डी प्रिंटर लॉन्च किया।
देश में मात्र एक फीसदी स्टार्ट अप हार्डवेयर के क्षेत्र में
आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए अटल इन्क्यूबेशन मिशन के डायरेक्टर चिंतन वैष्णव ने कहा कि आज देश में 1 लाख 40 हजार स्टार्टअप हैं, लेकिन इसमें से 1% से भी कम स्टार्टअप हार्डवेयर के क्षेत्र में हैं, जबकि देश की असली तरक्की हार्डवेयर स्टार्टअप से ही होगी।



