भोपाल

“जिस छात्र को संस्कृत भाषा आती है वह दुनिया की कोई भी भाषा सीखने और बोलने में सक्षम होता है” : डॉ. चांद किरण सलूजा

भोपाल डेस्क :

म.प्र. राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड एवं महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में होटल पलाश रेसीडेन्सी, भोपाल के सभागृह में Council of Boards of School Education (कोबसे) की तीन दिवसीय 51वीं वार्षिक कान्फ्रेन्स के दूसरे दिन प्रथम सत्र में डॉ. चांद किरण सलूजा, डायरेक्टर संस्कृत प्रमोशन फाउण्डेशन, नई दिल्ली ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बच्चा एक बीज के रूप में होता है। जिस प्रकार से बीज को पृथ्वी में डालिए खाद, पानी, प्रकाश दीजिए तो उसका विकास होता है। उसी प्रकार से बच्चों को अच्छा व्यवहार, शिक्षा और ज्ञान देने से उसकी ऊर्जा स्वयं निखर कर बाहर आ जायेगी। शिक्षक और पैरेन्ट को चाहिए कि वह बच्चों की संवेदनाओं को समझे। यह महत्वपूर्ण बात है कि आप उसके सामर्थ को देखते हैं कि नहीं उसके दिल में आप बैठ सकते हैं कि नहीं।

डॉ. सलूजा ने कहा कि बच्चे का क्या इंट्रेस्ट है किस चीज में उसका इंट्रेस्ट हैं यह देखना अति आवश्यक है। शिक्षक ने किताबें तो बहुत पढ़ी होंगी किन्तु विद्यार्थियों का चेहरा पढ़ना भी बहुत जरूरी है और बच्चों के प्रति संवेदनाएँ होना चाहिए। डॉ. सलूजा ने कहा कि पढ़ने-पढ़ाने में डूब जाना ही आचार कहलाता है। बच्चे ने क्या नहीं सीखा, क्यों नहीं सीखा और सबसे महत्वपूर्ण कैसे सीख सकता है इन प्रश्नों को खोजना ही, मूल्यांकन करना है। डॉ. सलूजा ने संस्कृत भाषा की महत्ता बताते हुए कहा कि – “जिस छात्र को संस्कृत भाषा आती है वह दुनिया की कोई भी भाषा सीखने और बोलने में सक्षम होता है।” कुछ लोग कहते हैं कि यह बच्चा पास नहीं हो सकता किन्तु वह बच्चा 85 प्रतिशत नम्बरों से पास हो जाता है। आप विषय के कन्टेन्ट कम कीजिए और छात्रों को बेसिक नॉलेज दीजिए। हमारा पूरा सिस्टम शिक्षा आधारित है। यदि हमें नॉलेज आया, विद्या आयी और हम मिलकर नहीं रहते हैं तो वह व्यर्थ है। इसलिए हमें मनुर्भव, मनुष्य बनने की शिक्षा देना चाहिए यह अत्यंत आवश्यक है।

इस अवसर पर तेलंगाना राज्य शिक्षा बोर्ड की असिस्टेन्ट प्रोफेसर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा अपने आप में पर्याप्त नहीं है। इसके साथ-साथ क्लासरूम एवं ऑफलाइन शिक्षा भी बच्चों के लिए जरूरी है।

तेलंगाना राज्य के रीडर ई.आर.टी.डब्ल्यू, रमन्ना राव द्वारा एक वेबसाइट बनाकर देश-विदेश से आये प्रतिनिधि मंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा प्रीडियक्टिक टेबल है जिसमें बच्चा इस वेबसाइट के द्वारा दूसरी भाषा में पढ़ाई कर सकता है और सीख सकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा विज्ञान सीखने में सहायक होती है। फिजिक्स भाषा का बेस दो चीजों पर आधारित है। बच्चे की यदि भाषा और तर्कशक्ति अच्छी है तो फिजिक्स और साइंस विषय के प्रति उसका लगाव होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। रिसर्च के संबंध में उन्होंने कहा कि सारी चीजें पहले खोजी जा चुकी हैं किन्तु रिसर्च का मतलब पहले से खोजी गयी चीजों का अध्ययन करना है।

हरियाणा राज्य शिक्षा बोर्ड के चेयरमेन डॉ. वेद प्रकाश यादव ने कहा कि जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति है वह ऊपर ही ऊपर रह जाती है यदि शिक्षक इन योजनाओं को बच्चों तक पहुँचाकर क्रियान्वित करे तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। सभी बच्चे बुद्धि में समान नहीं होते हैं इसलिए उनको साथ लेकर चलना होगा। वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति यह भारत के स्वर्णिम युग के लिए एक अच्छा संकेत है।

ग्रुप डिशक्शन – इस अवसर पर दो ग्रुप बनाये गये जिनके द्वारा ग्रुप डिशक्शन करते हुए ऑनलाइन शिक्षा नीति के संबंध में 60 प्रतिशत प्रतिनिधि मंडलों का मत था कि विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि हमें नई टेक्नलॉजी के साथ आगे बढ़ना है, जबकि 40 प्रतिशत प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने कहा कि बच्चों को ऑफलाइन और क्लासरूम की शिक्षा देना अतिआवश्यक है क्योंकि गाँव में हम बच्चों को नेटवर्क और कम्प्यूटर आदि साधनों के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा नहीं दे सकते हैं।

ग्रुप डिशक्शन के उपरांत देश-विदेश से आये प्रतिनिधि मंडल द्वारा भाषा संस्कृति आदान-प्रदान के लिए विश्व धरोहर साँची स्तूप का भ्रमण किया गया जिसमें सर्वप्रथम श्रीमती असानो सुकोसे, प्रेसीडेन्ट Council of Boards of School Education (कोबसे) एवं चेयरमेन नागालेण्ड ओपन बोर्ड एम.सी. शर्मा, महा सचिव, कोबसे, ए.जे. शाह (आईएएस) गुजरात शिक्षा बोर्ड, डॉ. वेदप्रकाश यादव, चेयरमेन शिक्षा बोर्ड, अब्दुल वाहिद, डायरेक्टर जम्मूकश्मीर शिक्षा बोर्ड, अश्वनी कुमार मिश्रा (आईएएस) चेयरमेन उड़ीसा शिक्षा बोर्ड, डी.एस. थानाकुड़ी, डायरेक्टर मॉरीशस शिक्षा बोर्ड एवं डॉ. फोकिरा मारीशस, डॉ. महेशराम शर्मा, चेयरमेन नेपाल शिक्षा बोर्ड, दुर्गाप्रसाद, सेक्रेटरी नेपाल शिक्षा बोर्ड, बलवानसिंह एवं कु. रोमा त्यागी NWSE यू.एस.ए., शरदसिंह चेयरमेन मणीपुर शिक्षा बोर्ड, बी. जी. सैत्ये, चेयरमेन गोवा शिक्षा बोर्ड, अफसर अली खान डायरेक्टर अलीगढ़ मुस्लिम शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अनुराधा ओक सेक्रेटरी महाराष्ट्र बोर्ड, रमन्ना राव रीडर तेलंगाना शिक्षा बोर्ड, जे.के. अग्रवाल डिप्टी सेक्रेटरी छत्तीसगढ़ शिक्षा बोर्ड, एम. के. अरोरा ज्वाइंट सेक्रेटरी कोबसे, के.बी. हांडा प्रशासनिक अधिकारी कोबसे, जेएच. जोरे मथंगा चेयरमेन मिजोरम शिक्षा बोर्ड, एस.के. शर्मा चेयरमेन संस्कृत शिक्षा बोर्ड छत्तीसगढ़ एवं नवनीता सिंह रजिस्ट्रार ओपन स्कूल शिक्षा बोर्ड छत्तीसगढ़, पुलक पतंगगिरी असम शिक्षा बोर्ड एवं एन.एन. नाथ सेक्रेटरी असम शिक्षा बोर्ड, CISCE के चेयरमेन जी. ईमेन्युअल सेक्रेटरी ग्रेगरी आर्थन, एम.के. श्रीवास्तव डायरेक्टर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन शिक्षा बोर्ड मणीपुर, सीबीएसई नई दिल्ली के परीक्षा कन्ट्रोलर डॉ. सन्याम भारद्वाज, उत्तरप्रदेश, केरला, बेस्टबंगाल, बिहार, उत्तराखंड, मेघालय आदि राज्यों सहित प्रभात राज तिवारी, संचालक, म.प्र. राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड एवं निदेशक महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, मध्यप्रदेश एवं उप संचालक, राजेश मौर्य एवं प्रशांत डोलस सहित अन्य राज्यों से आये अधिकारियों ने साँची भ्रमण किया और अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहा कि विश्व प्रसिद्ध साँची स्तूप राष्ट्रीय धरोहर है जो हमें शिक्षा, भाषा, ज्ञान, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत के बारें में जानकारी प्रदान करती है।

प्रभात राज तिवारी, संचालक, म.प्र. राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड एवं निदेशक महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, मध्यप्रदेश ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि Council of Boards of School Education (कोबसे) की 51वीं वार्षिक कॉन्फ्रेन्स की ग्रुप डिस्कशन में होने वाले विचारों के अनुसार हम विद्यार्थियों को शिक्षा के मार्ग में आगे बढ़ाने के लिए सतत् दृढ़-संकल्पित रहेंगे।

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