सदियों साल पुरानी परंपरा से किले में मनाया ‘हिल्ला’: जयवर्धन ने लोगों के साथ खेली होली; दिग्गी राजा ने गाया ‘राजा बल के द्वार मची री होली’
गुना डेस्क :
राघौगढ़ किले पर गुरुवार को ‘हिल्ला’ मनाया गया। 25 साल बाद दिग्विजय सिंह इसमें शामिल होने वाले थे, लेकिन किसी कारणवश वे नहीं आ सके। उन्होंने VIDEO जारी कर कहा, ‘हिल्ला के शुभ अवसर पर आप सभी को मेरी बधाई। चाहते हुए भी आप लोगों के बीच आज नहीं हूं। क्षमा चाहता हूं।’
उन्होंने ‘हिल्ला’ पर गाया जाने वाला होली गीत गाया, ‘राजा बल के द्वार मची री होली, के चढ़ आयो तो पे लख बंजारो…।’ दिग्विजय ने आज सुबह अपने X हैंडल पर यह VIDEO जारी किया। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह राजगढ़ से 33 साल बाद सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं। राघौगढ़ इसी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
जयवर्धन सिंह ने कहा, ‘आज के दिन हम अपने पूर्वजों की जीत को याद कर मनाते हैं।’ उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘दिग्विजय सिंह की राजगढ़ लोकसभा से ऐतिहासिक जीत होगी।’
हर साल होली की तीज पर इसे मनाया जाता है। इसमें कस्बे के लोग पूर्व राजपरिवार के सदस्यों के साथ होली खेलने उनके निवास पर पहुंचते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 210 साल पहले हुई थी।
‘हिल्ला’ मनाने के पीछे का किस्सा…
बुजुर्ग बताते हैं कि ब्रिटिश सेनापति जॉन बप्टिस ने अपनी सेना के साथ राघौगढ़ किले पर हमला किया था। उस समय राघौगढ़ की कमान हिंदुपथ नरेश राजा जयसिंह के हाथ में थी। विशाल सेना की मदद से जॉन बप्टिस ने बजरंगगढ़ का किला जीत लिया था। इसके बाद अंग्रेजी सेना ने राघौगढ़ किले की घेराबंदी कर ली।
सीमित संसाधनों के कारण राघौगढ़ ज्यादा दिन युद्ध नहीं कर सकता था। राजा जयसिंह ने श्योपुर छावनी पर हमला कर ब्रिटिश सेनापति के बेटे को बंदी बना लिया। इसकी सूचना उसे देकर कहा गया कि राघौगढ़ किले से अपनी सेना हटा लो।
राजा जयसिंह की कुशल रणनीति से दुश्मन सेना का मनोबल टूट गया। अंग्रेजी सेना का हटना शुरू हुआ तो खबर सबसे पहले नांदनेर के ग्रामीणों ने आकर दी, तब से ही यह परंपरा शुरू हुई।