स्कूल प्रबंधन अपने फैसले से पीछे हटा, स्कार्फ पहनना स्वैच्छिक: शिवराज बोले-मनमर्जी से ड्रेस कोड लागू नहीं कर सकते: दमोह के गंगा जमना स्कूल पहुंची बाल आयोग की टीम
न्यूज़ डेस्क :
दमोह के गंगा जमना हायर सेकेंडरी स्कूल में हिंदू छात्राओं को कथित हिजाब पहनाने को लेकर हुए विवाद के बाद स्कूल प्रबंधन अपने फैसले से पीछे हटा है। स्कूल प्रबंधन ने अब यूनिफॉर्म के साथ पहना जाने वाला स्कार्फ स्वैच्छिक कर दिया है। स्कूल प्रबंधन ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी भेजा है।
इधर छतरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अपनी मनमर्जी से ड्रेस कोड लागू नहीं कर सकता है। स्कार्फ बांधों या कोई ऐसी कविता गाओ, जिसका भारत की भूमि से कोई संबंध नहीं है, तो यह नहीं चलेगा। ऐसे स्कूल पर हमने जांच के निर्देश दिए हैं। जैसा दमोह के स्कूल में कुछ भी बांधकर आओ चल रहा था। यह मध्यप्रदेश में नहीं चलेगा। संस्कार देने वाली और सही दिशा देने वाली शिक्षा ही यहां चलेगी।
स्कूल डायरेक्टर बोले- किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो हमें खेद है
शुक्रवार सुबह गंगा जमना स्कूल के डायरेक्टर हाजी मुस्ताक खान ने पत्रकारों को बताया कि 2010 में स्कूल की स्थापना हुई थी। हमारा उद्देश्य बच्चों को उत्तम शिक्षा देना है। इस साल हमारे बच्चे काफी अच्छे नंबरों से पास हुए हैं, इसलिए उनका एक फ्लैक्स बनाकर बधाई देने के लिए लगाया गया था। फ्लैक्स को लेकर कुछ लोगों को आपत्ति है। फ्लैक्स में लगी फोटो को लेकर अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो हमें उसके लिए खेद है।
राज्य बाल आयोग की टीम पहुंची गंगा जमना स्कूल
मामले को लेकर शुक्रवार को राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह और मेघा पवार स्कूल पहुंचे और बच्चों को स्कार्फ पहनाने का कारण पूछा। इस पर स्कूल प्रिंसिपल अफसा शेख ने जवाब देते हुए कहा कि अभी तक किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई है। यह सुनते ही आयोग अध्यक्ष ने नाराज हो गए और कहा कि किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो क्या बुर्का पहना देंगे। बाद में उन्होंने स्कूल डायरेक्टर इदरीश खान से जवाब मांगा। इस पर उन्होंने कहा कि यह स्कूल का ड्रेस कोड है। इसके जवाब में उन्होंने कहा हिंदू धर्म में कहीं भी बच्चियों का सिर ढंकने की परंपरा नहीं है।
अब पूरा मामला समझ लीजिए
दमोह में गंगा जमना स्कूल में पढ़ने वाली हिंदू लड़कियों का हिजाब में फोटो सामने आया था। 10वीं का रिजल्ट आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने टॉपर्स की फोटो जारी की थी, इसमें 18 बच्चों की फोटो हैं। इनमें 15 लड़कियां हैं, ये सभी हिजाब में दिख रही हैं। इनमें चार लड़कियां हिंदू हैं।
पेरेंट्स का कहना है कि यह स्कार्फ (हिजाब) स्कूल के ड्रेस कोड का हिस्सा है। यह मामला दमोह स्टोरी नाम से वायरल हो गया, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर को इसकी जांच के आदेश दिए थे।
धर्म परिवर्तन वाली बात को इनकार किया
स्कूल डायरेक्टर हाजी मुस्ताक खान ने कहा कि हमारी सोसाइटी ने एक रेजोल्यूशन पास किया है कि हिजाब या दुपट्टे को जो छात्राएं पहनना चाहें वह पहन सकती हैं। स्कूल का ड्रेस कोड स्कूल तय करता है। स्कूल में पढ़ाई जाने वाली दुआ पर उन्होंने कहा कि इस मामले में शासन की कमेटी जांच कर रही है। शिक्षकों के धर्म परिवर्तन की बात को भी उन्होंने इनकार कर दिया। इंटरव्यू लिए जाते हैं, जो आवेदक टॉप करते हैं उन्हें स्कूल में रखा जाता है। आज तक किसी को आपत्ति नहीं थी। कुछ साल पहले भी एक विवाद हुआ था उस समय भी मामले में जांच हुई थी। हमारे स्कूल में कभी भी धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती है और ना कभी दी जाएगी। यह धार्मिक स्कूल नहीं है। हम प्रेयर में जन गण मन कराते हैं।
हिजाब का विवाद खत्म, दुआ पर होगी जांच
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद उन्होंने एक कमेटी गठित की है, जिसमें एसडीएम, एसडीओपी के अलावा कई अधिकारी शामिल हैं। जांच शुरू हुई, इसी बीच स्कूल के संचालक ने अपने स्कार्फ वाले नियम में बदलाव कर दिया है। अब उसे बच्चों को पहनने के लिए स्वैच्छिक कर दिया है। जहां तक जानकारी मिली है दुआ आमतौर पर स्कूल में नियमित रूप से नहीं पढ़ाई जाती है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वह केवल जन गण मन राष्ट्रगान कराते हैं। सरकारी स्कूलों के लिए तो ड्रेस कोड का नियम है, लेकिन निजी स्कूलों के लिए अभी ऐसा कोई नियम नहीं बना है।
जांच की समय सीमा को लेकर कलेक्टर ने कहा कि कई ज्ञापन हुए हैं, कई बिंदुओं पर जांच होनी है इसलिए कुछ समय लगेगा, लेकिन बहुत जल्द जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी। स्कूल की मान्यता को लेकर जांच की जाएगी। उसमें जो नियम कायदे और जो आपत्तियां और जो आरोप लोगों के द्वारा लगाए गए हैं, उन सभी बिंदुओं की जांच होगी। स्कूल में हिंदू शिक्षकों की कमी का मामला भी सामने आया था, जिसमें अब स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वह हिंदू शिक्षकों की संख्या बढ़ाएंगे।
शुक्रवार के दिन स्कूल के समय में बदलाव के मामले में कलेक्टर ने कहा कि इस मामले को जांच में शामिल किया जाएगा। हिजाब का विवाद लगभग खत्म हो गया है। इस मामले में अभी तक जांच टीम ने जिन छात्रों और उनके अभिभावकों से बात की है, उन्होंने कथित हिजाब को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन फिर भी इस पूरे मामले की जांच की जा रही है।