जयपुर

राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेल , खेल के प्रति जुनूनः अगले दिन थी शादी…. स्टेट टूर्नामेंट जीतकर रात को 1 बजे पहुंची घर

जयपुर डेस्क :

प्रदेश में राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों का आयोजन जोरों से चल रहा है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से आने वाली प्रतिभाएं राज्य स्तरीय मंच पर अपना परचम लहरा रही हैं लेकिन इस मंजिल तक पहुंचने के सभी के रास्ते अनोखे हैं। ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है जहां खेल प्रेम और जुनून की एक अनोखी मिसाल सामने आई है।

राजसमंद जिले की गलवा ग्राम पंचायत के छोटे से गांव में रहने वाली पूजा अब राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक में अपना हुनर दिखा रही हैं। उनका यह सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। अगले ही दिन शादी होने के बावजूद उन्होंने स्टेट लेवल टूर्नामेंट में ना केवल हिस्सा लिया बल्कि अपने उम्दा प्रदर्शन से अपनी टीम को जीत भी दिलाई। पूजा बताती हैं कि मैं हॉकी खेलती हूं मुझे स्टेट लेवल टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए सिरोही जाना था लेकिन प्रतियोगिता के अगले ही दिन मेरी शादी थी ऐसे में मुझे डर था मेरा स्टेट लेवल टूर्नामेंट खेलने का सपना अधूरा ना रह जाए। घर वालों का भी कहना था कि मैं इस टूर्नामेंट को छोड़ दूं लेकिन मैंने हार नहीं मानी और अपनी ज़िद के चलते मैंने इस टूर्नामेंट में भाग लिया। इस मुश्किल घड़ी में मेरे कोच ने भी मेरे साथ बहुत मेहनत की उन्हीं की बदौलत मेरा यह खेल आज तक जारी है और अब मैं राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक में एक नई उम्मीद के साथ राज्य स्तरीय टूर्नामेंट खेल रही हूं। ग्रामीण ओलंपिक से मुझे अब लगने लगा है कि मेरा खेलने का सपना साकार हो सकेगा और मेरे सपनों को पखं मिलेंगे।

4 दिन बाद थी शादी कोच अपने जिम्मे पर ले गई टूर्नामेंट खिलाने-

पूजा बैरवा की कोच गरिमा व्यास ने बताया कि जिस दिन पूजा की शादी थी उससे 4 दिन पहले ही सिरोही में स्टेट टूर्नामेंट होना था लेकिन पूजा के घर वालों ने पूजा को टूर्नामेंट खेलने से मना कर दिया। जिसके कारण पूजा का हौंसला भी टूटने लगा। मेरी भी इच्छा थी कि पूजा जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी मैच खेले, ऐसे में मैंने स्वयं पूजा के घर वालों को समझाया और पूजा को टूर्नामेंट में सिरोही ले जाने के लिए राजी कर लिया। टूर्नामेंट जीतने के बाद मध्य रात्रि को करीब 1 बजे मैंने पूजा को खुद उसके घर छोड़ा। जिससे उसके अगले ही दिन उसकी शादी की रस्में शुरू हो गई। एक बार तो मुझे भी लगने लगा था कि पूजा अब नहीं खेल पाएगी लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। उसी की बदौलत आज पूजा यहां राज्य स्तरीय मैच खेल रही है। राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों से पूजा जैसी हजारों ग्रामीण प्रतिभाओं को उम्मीद की एक नई किरण मिली है। हम राज्य सरकार के आभारी हैं कि उन्होंने ग्रामीण ओलंपिक जैसे खेलों का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि आगे भी ऐसे खेलों का आयोजन होता रहे जिससे अपना हौसला खो चुकी ग्रामीण प्रतिभाएं उभर कर सामने आ सकें।

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