विदिशा

नवरात्र आज से: विदिशा में पहला ऐसा मंदिर जिसके नाम पर बस गया पूरा दुर्गानगर यहां एक दिन में तीन रूप बदलती हैं दुर्गा मंदिर की ज्वालादेवी

विदिशा डेस्क :

बुधवार से चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। इस दिन गुड़ी पड़वा के साथ नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है। इस बार चैत्र नवरात्र 30 मार्च रामनवमी तक चलेगी। नवरात्र से एक दिन पहले ही देवी मंदिरों में हवन और पूजन की तैयारी शुरू हो गई थी। पहले दिन बुधवार को मंदिरों में घट स्थापना होगी। शक्ति आराधना के पर्व नवरात्र के दौरान विदिशा के दुर्गानगर स्थित प्राचीन ज्वालादेवी मंदिर में अखंड ज्योति जलती है। इस दुर्गा मंदिर में श्रद्धालु स्वयं अखंड ज्योति जलवाने आते हैं। इनमें सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई राजनीतिक दिग्गज, एनआरआई और विदेशी हस्तियां शामिल हैं।

पहले दिन यहां 600 तेल की और 101 घी की ज्योति जलाई जाएंगी। दुर्गा मंदिर के नाम पर ही यहां दुर्गा नगर बस चुका है। इस क्षेत्र में 10 हजार से ज्यादा की आबादी है। साल 1957 में महंत पं.प्रभुदयाल चतुर्वेदी ने यहां मंदिर में ज्वाला देवी की प्रतिमा की स्थापना की थी। इसके बाद लगातार यहां अखंड ज्योति चल रही हैं।

दिल्ली, मुंबई से लेकर अमेरिका तक के लोग जलवाते हैं ज्योति
महंत पं.रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी बताते हैं यहां पहली ज्योति मंदिर के संस्थापक पं.प्रभुदयाल चतुर्वेदी ने 50 साल पहले जलवाई थी। यह घी की ज्योति अभी भी जल रही है। विदिशा में रहे लोनिवि के पूर्व ईई नरेंद्र मंडलोई की ज्योति 40 साल से जल रही है। मुंबई के रामकुमार सेन, दिल्ली के राधेश्याम शर्मा, रायपुर के नरेंद्र पुरोहित, अमेरिका में बसे मुकेश सिंह, टीकमगढ़ के एसपी प्रशांत खरे के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम की ज्योति भी 25 साल से जल रही है।

देवी ने सपना देकर कहा, कराओ प्राण-प्रतिष्ठा
यह जगह हाजी वली तालाब के नाम से फेमस है। साल 1957 में मां दुर्गे ने प्रभु दयाल चतुर्वेदी को सपने में कहा कि इस मंदिर में मां दुर्गे की प्राण प्रतिष्ठा कराओ। मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार ने इस मंदिर के लिए दान स्वरूप जमीन दी और इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई। तब उन्होंने चांदी का सिक्का भेंट किया जो प्राण-प्रतिष्ठा के समय जमीन में रखा जाता है।

दिन में तीन बार बदलता है माता का रूप: ज्वाला देवी शक्तिपीठ में मां दिन में तीन रूप बदलती हैं। सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक तरुणी रूप, दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक प्रौढ़ावस्था और शाम 4 से रात 8 बजे तक कन्या रूप में मातारानी के दर्शन होते हैं।

कोई ज्योति बुझ ना जाए इसलिए लगाते हैं 6 पंडितों की ड्यूटी: दुर्गा मंदिर के महंत रामेश्वरदयाल चतुर्वेदी बताते हैं कि मंदिर परिसर में बने एक विशाल हाल में ये ज्योतियां जल रही हैं। ज्योति बुझ न जाए इसलिए इसकी रखवाली के लिए मंदिर में 6 लोगों को तैनात किया गया है जो मंदिर परिसर में ज्योति में घी कम होने पर उनमें घी बढ़ाने का काम करते हैं।

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