मध्यप्रदेश

प्रदेशभर में 3.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर: मध्यप्रदेश में 4 साल बाद ऐसा आंदोलन

भोपाल डेस्क :

राजधानी के अधिकांश सरकारी महकमों में शुक्रवार को बाबू नजर नहीं आएंगे। अपनी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में 60 हजार, जबकि प्रदेशभर में 3.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इस कारण कई तरह की सेवाएं प्रभावित होंगी। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा और छह संगठनों के ज्वाइंट फोरम की ओर से 39 सूत्रीय मांगों को लेकर यह प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जा रहा है। चार साल बाद प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का यह सबसे बड़ा आंदोलन है। इससे पहले संयुक्त मोर्चा ने ही ऐसी हड़ताल की थी।

आंदोलन को लेकर भोपाल में पिछले 15 दिन से अलग-अलग विभागों में गेट मीटिंग हो रही हैं। गुरुवार को विंध्याचल, पर्यावास भवन में गेट मीटिंग हुई। इसको फोरम के एमपी द्विवेदी, उमाशंकर तिवारी, संजय दुबे, मोर्चा के भुवनेश पटेल, वीरेंद्र खोंगल, विजय रघुवंशी, रियाज खान,मेहरबान खान आदि ने संबोधित किया। लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एमपी द्विवेदी ने बताया कि 90% से ज्यादा कर्मचारी छुट्टी के आवेदन जमा कर चुके हैं।

कर्मचारियों की एकजुटता के बाद यह नौबत

ये सेवाएं रहेंगी प्रभावित

  • आयुक्त कोष एवं लेखा… विभागों के किसी प्रकार के बिल न लगेंगे न पास होंगे।
  • मकान, प्लाॅट, दुकान की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी।
  • कलेक्टर, तहसील, एसडीएम कार्यालय में नक्शा, खसरा, नामांतरण, बंटवारा सहित अन्य काम।
  • राजस्व वसूली प्रभावित होगी।
  • पीडब्ल्यूडी, पीएचई, आरईएस, जल संसाधन में ठेकेदारों के बिलों के भुगतान नहीं होंगे।

ये हैं प्रमुख मांगें

  • लिपिक कर्मचारियों को 2400-2800-3200 के स्थान पर मंत्रालय के समान 2800-3600-4200 ग्रेड पे का लाभ दिया जाए।
  • पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
  • पदोन्नति पर रोक हटाई जाए।
  • सेवानिवृत्त कर्मचारियों को धारा 49 से छूट दी जाए। महंगाई राहत का पिछला बकाया भुगतान हो।
  • वाहन भत्ता, मकान किराया भत्ता केंद्र के 7वें वेतनमान के अनुसार मिले।

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