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लाडली बहना योजना में ई-केवायसी करने के बदले रुपए लेने पर तीन लोगों पर हुई FIR: भेजा जेल, विरोध में दुकानदारों ने घेरी कलेक्ट्रेट

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लाडली बहना योजना में ई-केवायसी करने के बदले रुपए लेने पर श्योपुर जिले में तीन लोगों पर FIR हुई है। इसके विरोध में सोमवार को जिले में कियोस्क और ऑनलाइन सेंटर संचालित करने वालों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

दुकानदारों ने मांग की कि जिन तीन दुकानदारों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है, उन्हें तत्काल छोड़ा जाए। एफआईआर निरस्त की जाए। यह कार्रवाई जिले के बड़ौदा में तीन कियोस्क बैंक संचालक और ऑनलाइन दुकानदारों पर की गई है।

फोटो कॉपी और प्रिंट आउट के बदले लिए 20-20 रुपए

कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने पहुंचे कियोस्क और ऑनलाइन सेंटर संचालकों का कहना है कि दुकानदारों ने पिछले दिनों फोटो कॉपी और प्रिंट आउट निकलवाने के बदले में उन लोगों से 20- 20 रुपए लिए थे। उनका आरोप है कि अफसरों ने ई-केवाईसी के बदले में यह रुपए लेने की बात कहकर उन पर धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। उन्हें जेल भिजवा दिया है। उन्होंने इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए मांग की है कि एफआईआर को तत्काल वापस किया जाए और तीनों को जेल से रिहा किया जाए।

कलेक्टर बोले- गलत किया है, उस पर FIR हुई

प्रदर्शन कर रहे इन दुकानदारों का यह भी कहना है कि ई-केवाईसी का कार्य सरकारी कर्मचारियों से करवाएं। दुकानदारों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेशभर के किओस्क और ऑनलाइन दुकानदार काम बंद कर देंगे। इस मामले में जिले के कलेक्टर शिवम वर्मा ने दो टूक कहा कि गलत किया है, उस पर एफआईआर हुई है।

पति को जेल में डाला, बच्चों को क्या खिलाएं : सुनीता

बड़ौदा के जिस किओस्क बैंक संचालक मनोज को पुलिस ने ग्राहक से ई-केवाईसी के एवज में रुपए लेने के आरोप में धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज करवा कर जेल भिजवाया है, उसकी पत्नी सुनीता ने कलेक्ट्रेट पर रोते हुए अधिकारियों से कहा कि मेरे पति मेरे घर में अकेले कमाने वाले हैं। उन्हें बिना किसी बात के जेल भिजवा दिया है। अब हमारे घर में कोई भी कमाने वाला नहीं है। बच्चों को हम क्या खिलाएं।

कलेक्ट्रेट में रिश्वतखोरी पर कार्रवाई क्यों नहीं

किओस्क बैंक और ऑनलाइन सेंटर संचालक वीरेंद्र, प्रदीप आदि ने कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने कलेक्ट्रेट में अफसरों से कहा कि जमीनों की नकल निकलवाने से लेकर उन्हें प्रमाणित करवाने और दूसरे अन्य काम कराने के बदले में कलेक्ट्रेट में रिश्वतखोरी चल रही है। अधिकारी उन रिश्वतखोरों पर FIR क्यों नहीं कराते। एक प्राइवेट दुकान का दुकानदार अपने परिवार की गुजारे के लिए फोटो कॉपी करने की एवज में पैसे ले ले तो उसे जेल में डाल रहे हैं।

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