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पहली बार किसी तेंदुए को लगाया रेडियो कॉलर: शिकार को मारकर खा नहीं रहा था तेंदुआ, अब डॉक्टर सुधारेंगे व्यवहार

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औबेदुल्लागंज वन क्षेत्र से एक तेंदुए को इलाज के लिए भोपाल के वन विहार लाया गया है। ये तेंदुआ हर दो दिन में शिकार तो कर रहा था, लेकिन उसे खा नहीं रहा था। रातापानी सेंचुरी के वन अधिकारियों ने कई दिनों तक इसकी मॉनिटरिंग की और पाया कि तेंदुआ शिकार को मारकर दूर हो जाता है। उसका ऐसा व्यवहार ईको सिस्टम के खिलाफ है, इसलिए उसकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ की जांच पड़ताल करना जरूरी है।

अब वन विहार में डॉक्टर उसका इलाज करेंगे, ताकि वो इको सिस्टम के अनुसार जीवन जी सके। इलाज के बाद उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा। देश में किसी तेंदुआ के इस तरह इलाज का यह पहला केस है। इस तरीके से साल 2012 में कान्हा नेशनल पार्क में एक बाघ का इलाज किया गया था। वो बेवजह ही रोज शिकार कर रहा था, लेकिन उसे खा नहीं रहा था। उसे पकड़कर जब जांच की गई तो पता चला कि उसके पंजे और दांतों में समस्या है। इलाज के बाद उसे जंगल में छोड़ दिया गया था।

वाइल्ड एनिमल के अजीब व्यवहार को मॉनिटर करें
वन विहार की डायरेक्टर पद्मप्रिया बालाकृष्णन के मुताबिक वाइल्ड एनिमन का अपना एक व्यवहार होता है। वह भूख लगने पर ही शिकार करता है। बेवजह शिकार करना उसके इकोसिस्टम में नहीं है। इस तेंदुए ने शिकार खाना छोड़ा है, इसलिए गुरुवार को इसका मेडिकल परीक्षण करेंगे।

पहली बार किसी तेंदुए को लगाया रेडियो कॉलर

वहीं, मप्र में पहली बार किसी तेंदुए को रेडियो कॉलर लगाकर रातापानी सेंचुरी में छोड़ दिया गया। 4-5 साल का यह नर तेंदुआ समरधा रेंज के चीचली बीट से 3 फरवरी को चैनलिंक फेंसिंग में फंसा मिला था। उसके पैर और जीभ में मामूली चोट आई थी।

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