विदिशा

3 वर्ष से अधिक समय के बाद भी गौमाता को नही मिला ठिकाना, कागजों में तो गौशालाएं संचालित, हो रही  हैं पर मौके पर कहीं अधूरी तो कहीं  खाली,खेतों में फसल दिखने से किसानों को फसल बचाना बड़ी चुनौती।

आनंदपुर डेस्क :

आनंदपुर क्षेत्र में आनंदपुर,बनारसी पँचायत के हरिपुर,महोटी,कालादेव, उनारसी के राधौगढ़,पठेरा पँचायत के आमाई में 6 गौशाला बनना था जिसमे से अभी आनंदपुर, बनारसी, पठेरा, उनारसी की  गौशाला शासकीय स्तर पर वर्तमान में संचालित है,जबकि महोटी,कालादेव की गौशाला अभी बनकर पूर्ण नहीं हुई है।जो संचालित हो रहीं हैं उनमें शासन के अनुसार तो मवेशी है पर मौके पर यह खाली पड़ी हैं,कितनी मवेशी है इसकी जानकारी तो नही है पर एक गौशाला में 80- से 120 तक मवेशी रखना है ऐसे में आनंदपुर जैसे बड़े कस्बानुमा गाँव मे यह गौशाला न के बराबर है,कहने को तो आनंदपुर गौशाला संचालित है पर  आनन्दपुर बाजार में लगभग 300–400 आवारा मवेशी है जो बाजार में जगह जगह डेरा डाले है।

कांग्रेस सरकार में गौशाला बनने  की  स्वीकृति मिली थी 

जानकारी के अनुसार लटेरी तहसील में काँग्रेस सरकार के समय  2019 में 12 पंचायतों में  गौशाला बनने  की  स्वीकृति मिली थी  अब 3 वर्ष होने को हैं पर सरकार के सुस्त रवैया और स्थानीय प्रशासन की अनदेखी से इन गौशालाओं का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया,जनपद सीईओ अजय वर्मा ने बताया की 12 में से 8 गौशाला संचालित हो रहीं हैं बाकि 4 भी जल्दी शुरू होंगी एक गौशाला का मासिक खर्च 1 लाख रुपये आता है,एक गौशाला में  करीब 100 के लगभग मवेशी ओसतन है।

क्षेत्र के किसान शैलेन्द्र श्रीवास्तव,विवेक कुशवाह, छोगीलाला अहिरवार,गजेंद्र बघेल आनन्दपुर ,रंजीत यादव उनारसी, दीपक शर्मा कालादेव,हेमंत शर्मा गोलाखेड़ा,नबल बघेल बापचा,कुबेर जादोंन,लालाटोरा, वीरेंद्र रघुवंशी सतपाड़ा आदि ने कहा की पिछले 2–3 वर्षों में हर गाँव मे आवारा मवेशी की संख्या बढ़ी है,और 3 वर्षों से बन रहीं गौशालाएं अभी भी कहीं अधूरी तो कहीं बनकर तैयार हैं,पर इनमें मवेशी नहीं रखी जा रही है,अभी बुआई हो चुकी और खेतों में फसल दिखने लगी है ऐसे में      इस मवेशी से फसल को बचाना मुश्किल होगा,आनन्दपुर में तो 400 से अधिक अवारा मवेशी है इससे फसल बचाना किसानों के लिये चुनौती है,किसानों ने कहा की अब रातभर जागकर खेतों की रखवाली करना होगा गौशाला में इतनी मवेशी रह नही सकती, ,कुछ गाँव आनन्दपुर के पास के लगे हैं,वहाँ के किसान रात को अवारा मवेशियों को आनन्दपुर छोड़ जाते हैं जिससे किसानों को और अधिक परेशानी हो जाती है,कई बार  इन मवेशियों को लेकर किसानों में  टकराव हो जाता है। 

लाखों रुपए की लागत आई है एक गौशाला पर

अगर स्थानीय प्रशासन सख्त होकर गौशाला निर्माण और गाय रखने पर ध्यान दे तो कुछ हद तक समस्या हल हो सकती है।एक गौशाला की लागत 35 लाख से अधिक है पर लाखों–करोड़ों के खर्च के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है,प्रशासन सख्त होकर इनका उचित प्रबंधन करके संचालित करवाये तो इस बड़ी समस्या से किसानों को कुछ राहत मिल सकती है।

गौसेवक अंकित बघेल, धर्म बघेल ने बताया की आनन्दपुर में गौशाला के बनने से कोई  समस्या कम नहीं हुई है,हम पिछले लगभग 5 वर्ष से समाज के सहयोग से गौसेवा कर रहे हैं,साथ ही अस्थायी गौशाला भी चला रहे हैं, अब खेत  फसल से हरे होने लगे ऐसे में यह मवेशी जिस खेत मे घुस जाए तो उसको पूरा खत्म कर देगी,हमारे पास भूसा आदि है जिससे हम मंडी में मवेशी में रात को तो इकट्ठा कर सकते हैं पर दिन में कैसे रख सकते हैं। 

इनका कहना है

1)बृजेन्द्र रावत एसडीएम लटेरी–लटेरी में जितनी भी गौशाला हैं वह पूरी संचालित हों,और जहाँ पर बनकर तैयार हैं उनको भी शीघ्र संचालित करने के लिये कहूँगा में स्वंय सभी गोशालाओं का मौके पर जाकर निरीक्षण करूँगा।

(2)पार्वती गगनेद्र रघुवंशी जिला पंचायत सदस्य—मैने मौके पर जाकर गोशालाओं को देखा है,अव्यवस्था देखने को मिली है, इसको लेकर मैने जनपद सीईओ और कलेक्टर महोदय से भी बोला है,काँग्रेस सरकार के समय स्वीकृत गौशाला अभी भी अधूरी हैं। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!