आनंदपुर डेस्क :
विदिशा जिले की लटेरी विकासखंड अन्तर्गत ग्राम पंचायत ओखलीखेड़ा की पारदी बस्ती (बंदीपुर) । आखिरी छोर तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए सरकार के संकल्पों की पोल खेल रही है बंदीपुर की यह पारदी बस्ती। इस बस्ती में 28 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। बस्ती में गरीब तबके के, खासकर पारदी, सिलावट, और मेहनत मजदूरी करने वाले परिवार रहते हैं।
कचरा बीनने में गुजरता दिन
बस्ती में जाने पर आपको कई बच्चे कचरे के ढेर में ‘रोजी-रोटी तलाशते नजर आ जाएंगे। सुबह से शाम तक इनका बचपन गंदगी के ढेर पर कचरा बीनने में गुजरता है। बस्तीवासी विदिशा बाई, गदर्णी बाई एवम् ताबीज़ पारदी ने बताया कि यहां 28 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। कई बार बच्चों का विद्यालय में नामांकन भी कराया गया लेकिन दूरी अधिक होने के चलते एक भी बच्चा स्कूल नहीं गया।
पढऩा चाहते हैं लेकिन दूरी अधिक है
बस्ती वालों और बच्चों से बातचीत में सामने आया कि बच्चे पढऩा लिखना चाहते हैं लेकिन सरकारी विद्यालय ग्राम बंदीपुर में पारदी बस्ती से ढाई किलोमीटर दूर है। वहां जाने के लिए मुख्य मार्ग से गुजरना पड़ता है। दुर्घटना की आशंका के चलते ये छोटे बच्चों को स्कूल नहीं भेजते।
दूर है स्कूल, बस्ती में खुले
बस्तीवासी विदिशा बाई स्पष्ट कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, दो बार विद्यालय में नाम भी लिखाया, कुछ बच्चों के नाम बंदीपुर शाला में लिखे हुए भी हैं लेकिन नाममात्र के बस्ती से सरकारी विद्यालय ढाई किलोमीटर दूर है जहां सड़क भी बीच में पड़ती है। इसके चलते बच्चों ने एक-दो दिन जाकर विद्यालय छोड़ दिया। कुछ बच्चे यहीं विद्यालय खुल जाए तो राहत मिले। पिछले साल मांग की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बस्ती का ही बच्चा ईसू अपने सपने सामने रखता हुआ कहता है कि अन्य बच्चों की तरह मैं भी पढऩा चाहता हूं। स्कूल में नाम भी लिखवाया था लेकिन काफी दूर होने से घर वाले स्कूल ही नहीं भेजते हैं। बारिश में तो बस्ती से बाहर निकलना भी दूभर हो जाता है। कच्ची सड़क में जगह जगह गड्ढों में पानी भरा हुआ रहता है, बस्ती में ही विद्यालय खुल जाए तो हम सभी बच्चे रोज पढ़ने जाएंगे।
हमने ग्राम पंचायत की और से मांग पत्र जिला स्तर पर भेज दिया है, स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी होने पर पारदी बस्ती में सैटेलाइट शाला खोलने की कार्यवाही की जाएगी।
प्रदीप राठौर ग्राम रोजगार सहायक ग्राम पंचायत ओखलीखेड़ा
सामाजिक संगठन ने जगाई थी शिक्षा की अलख
सामाजिक संगठन जन चेतना मंच में इसी पारदी बस्ती में लगातार 4 वर्षों तक निशुल्क कोचिंग सेंटर चलकर इन बच्चों में जो शिक्षा की अलख जगही है उसी का परिणाम है कि आज यह बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन संगठन के पास भी पर्याप्त संसाधन और आर्थिक धन बल ना होने के कारण कोचिंग सेंटर को मजबूरन बंद करना पड़ा।
हालांकि संगठन ने ग्राम पंचायत सहित तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों से कई बार इस संबंध में मौखिक बात की थी। कि यहां पर एक प्राथमिक विद्यालय शुरू करवा दिया जाए या फिर जो सामुदायिक भवन है उसी में एक शिक्षक को भेज कर इन बच्चों की पढ़ाई करवाई जाए लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया।