
आनंदपुर डेस्क :
नजदीकी ग्राम जावती में गरीब परिवारों की जिंदगी अंधेरे में डूब गई है। अगस्त महीने में यह दूसरी बार है जब बिजली बिल बकाया होने पर पूरे गांव की सप्लाई काट दी गई। नतीजा यह है कि ग्रामीण मजबूरी में रातें दीपक की रोशनी में गुजार रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के बीच नियमित रूप से बिजली बिल भरना संभव नहीं है। बरसात के मौसम में खेती-किसानी और मजदूरी का काम भी प्रभावित है, ऐसे में गरीब परिवारों पर बिजली बिल जमा करने का भारी दबाव है।
सामाजिक संगठन जन चेतना मंच के प्रदेश मीडिया प्रभारी जावती निवासी संजीव कुशवाहा ने बताया कि गांव के प्रभावशाली और रसूखदार लोग तो किसी न किसी तरह सेटिंग करके अपने घरों में बिजली का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशान गरीब और असहाय परिवार हैं। बिजली कटौती से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
जहरीले जीव जंतुओं का खतरा
सामाजिक कार्यकर्ता दीपक अहिरवार ने कहा कि अंधेरे के कारण गांव में जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बढ़ गया है। बरसात में सांप-बिच्छू घरों में घुस आते हैं और रोशनी न होने से ग्रामीणों की जान पर भी खतरा मंडराता है। उन्होंने बिजली विभाग से अपील की कि गरीबों की मजबूरी को देखते हुए सप्लाई दोबारा शुरू की जाए।
ग्राम अध्यक्ष सम्राट रवि कुशवाहा ने बताया कि मोबाइल चार्जिंग तक की समस्या हो गई है। लोग मजबूरी में आनंदपुर जाकर ₹10 खर्च करके मोबाइल चार्ज करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब गांव में रोजगार और मजदूरी का ठिकाना नहीं है तो बिजली बिल कहां से चुकाया जाए।
12- 13 लाख रुपए बकाया हैं बिजली बिल
इस संबंध में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जेई संतोष बिसोरिया ने बताया कि जावती गांव के ट्रांसफार्मर पर करीब 70–75 कनेक्शन हैं, जिन पर लगभग 12–13 लाख रुपये का बकाया है। कंपनी नियमों के अनुसार यदि ग्रामीण कुल बकाया का 10 से 50 प्रतिशत तक भी जमा कर देते हैं तो बिजली आपूर्ति फिर से शुरू की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ऊपर से मिले निर्देशों के चलते विभाग नियमों का पालन करने को बाध्य है।
गांव की यह स्थिति बताती है कि बिजली बिल बकाया और ग्रामीणों की मजबूरी के बीच संतुलन बनाने की तत्काल जरूरत है। वरना गरीबों के लिए दीपक और लालटेन ही हमेशा का सहारा बन जाएंगे।