न्यूज़ डेस्क

कोर्ट ने गिरफ्तारी को बताया असंवैधानिक: युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया की रिहाई, भोपाल GRP ने झाबुआ से किया था गिरफ्तार

न्यूज़ डेस्क :

मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया को कोर्ट से रिहाई मिल गई है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया है। भोपाल जीआरपी ने विक्रांत भूरिया को रविवार सुबह झाबुआ से गिरफ्तार किया था। जीआरपी भूरिया को झाबुआ से भोपाल लाई और उन्हें शरद कुमार लटौरिया, स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया। मामले में अगली पेशी 5 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने पुलिस को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।

कोर्ट से बाहर आने के बाद विक्रांत भूरिया ने कहा कि जो गिरफ्तारी की गई थी, वह बिल्कुल भी न्याय के दायरे में नहीं आती है। हमारा मकसद एकदम साफ था कि हम सत्य की लड़ाई लड़ रहे हैं, जेल जाना पड़े तो जेल भी जाएंगे। हमने न किसी तरह का वकील किया, न ही हमने जमानत का आवेदन दिया। उसके बाद भी कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए यह निर्णय दिया कि बिल्कुल भी यह गिरफ्तारी न्याय संगत नहीं थी, असवैंधानिक थी और आपको बिना शर्तों के, बिना मुचलके के रिहा किया जाता है।

पुलिस के लिए कोर्ट ने कहा कि आपने जो निर्णय किया है, यह पूरी तरह गलत है। आगे इस तरह का निर्णय नहीं होना चाहिए। यह पूछने पर कि क्या पुलिस के खिलाफ असंवैधानिक गिरफ्तारी करने पर कोर्ट में परिवाद लगाएंगे? इस पर भूरिया ने कहा कि इसमें मैं पुलिस की गलती नहीं मानता। उन्होंने कहा कि सीएम शिवराज सिंह ने पुलिस का उपयोग कर युवाओं, आदिवासियों की बात को दबाने का प्रयास किया है।

गिरफ्तारी के बाद मेडिकल नहीं कराया
भूरिया के अलावा इस मामले में कांग्रेस कार्यकर्ता गोपिल कातवाल को भी पीसीसी के सामने से गिरफ्तार किया था। उसने ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया है। उनके हाथ में चोट लगी है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि मेडिकल क्यों नहीं कराए? इस पर पुलिस चुप रही है। कोर्ट ने इस मामले पर भी नाराजगी जताई।

झाबुआ से भोपाल जीआरपी ने किया था गिरफ्तार

इससे पहले झाबुआ में विक्रांत भूरिया की गिरफ्तारी के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस कार्रवाई का जमकर विरोध किया। भूरिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद शुक्रवार शाम भोपाल में ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया था। इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है। जीआरपी थाना प्रभारी एमएस सोमवंशी ने बताया कि विक्रांत भूरिया, अखिलेश यादव, मनीष चौधरी समेत 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 143, रेलवे एक्ट की धारा 145, 147 के तहत केस दर्ज किया गया था।

कांग्रेसियों ने शुक्रवार को रोकी थी ट्रेन

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने से नाराज कांग्रेस कार्यकर्ता भोपाल में शुक्रवार शाम करीब 5.30 बजे रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। यहां पांच नंबर प्लेटफार्म पर जबलपुर की ओर जा रही चलती ट्रेन को रोक दिया था। उन्होंने करीब 15 मिनट तक हंगामा किया। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विकांत भूरिया समेत कई नेता इंजन के ऊपर चढ़ गए थे। इन लोगों ने यहां जमकर नारेबाजी भी की थी। पुलिस ने कांग्रेसियों को खदेड़ दिया था।

सभी लोग बीजेपी के लिए कर रहे काम: विक्रांत

विक्रांत भूरिया ने कहा कि राहुल गांधी के प्रकरण से पहले जेपी नड्‌डा ने सभी ओबीसी सांसदों को बैठक पर बुलाया। ये साफ दिखाता है कि संसद से लेकर सभी लोग बीजेपी वालों के लिए काम कर रहे हैं। ये चाहते हैं कि जो ताकत से आवाज उठाएगा, उसकी आवाज बंद कर दें। हम चुप नहीं रहेंगे। आज ये लोग गिरफ्तार करने आए हैं, इन्हें लगता है हम डर जाएंगे। मैं डरूंगा नहीं, इनके साथ जाऊंगा। यदि जेल जाना पड़ा तो जेल भी जाऊंगा। ये क्रांतिकारियों की भूमि है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और झाबुआ MLA कांतिलाल के बेटे हैं विक्रांत

प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया पूर्व केंद्रीय मंत्री और झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। वर्ष 2020 में यूथ कांग्रेस के चुनाव वह यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुने गए। वह पहले आदिवासी अध्यक्ष बने।

इन धाराओं में दर्ज हुए केस
आईपीसी-143: जो कोई विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

रेलवे एक्ट की धारा-145: रेल अधिनियम 1989 की धारा 145 ट्रेन या फिर रेलवे परिसर में कोई व्यक्ति ट्रेन के अंदर उपद्रव करता है। अश्लील भाषा का प्रयोग करता है। किसी यात्री को परेशान करता है तो उसे धारा 145 के तहत दंड दिया जाएगा। 500 रुपए जुर्माना के साथ 6 माह की कैद हो सकती है।

रेलवे एक्ट की धारा-147: रेलवे के प्रतिबंधित क्षेत्र (रेलवे स्टेशन, रेलवे यार्ड, रेल भवन व रेलवे अफसरों के आवास) में अनाधिकृत तौर पर प्रवेश करता है तो उस पर जुर्म दर्ज किया जाता है। इस धारा में आरोपी पर एक हजार रुपए जुर्माने से लेकर 6 माह की कैद या फिर दोनों सजा हो सकती है।

भूरिया के खिलाफ 7 साल से कम सजा की धाराएं, फिर भी गिरफ्तारी

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के खिलाफ दर्ज सभी धाराओं में सात साल से कम सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद पुलिस सात साल से कम सजा के अपराध के आरोपियों की अमूमन गिरफ्तारी नहीं करती है। 2010 में सीआरपीसी की धारा-41 में संशोधन कर जोड़ी गई धारा के अनुसार पुलिस पहले आरोपी को नोटिस देकर बुलाएगी और नोटिस की शर्तों का पालन किए जाने की स्थिति में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर रिमांड पर पर लेने से पहले जांच अधिकारी द्वारा अदालत को लिखित में कारण बताने होंगे। लेकिन, एमपी में तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे, जिनमें सात साल से कम धारा के मामलों में किसी की गिरफ्तारी की गई, तो किसी को नोटिस दिया गया।

सालभर पहले क्राइम ब्रांच ने एक ही अपराध में व्हिसल ब्लोअर आनंद राय और केके मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज किया था। दोनों के खिलाफ सामान्य धाराएं थीं। इस मामले में आनंद राय को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, वहीं केके मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं की गई थी। उन्हें थाने से नोटिस देकर छोड़ दिया गया था। जबकि, इन्हीं धाराओं में आनंद राय को थाने से जमानत नहीं दी गई।

पुलिस को कोर्ट में बताना होगी गिरफ्तारी की वजह

भोपाल के सीनियर एडवोकेट जगदीश गुप्ता ने बताया कि सात साल से कम धाराओं वाले अपराध में पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। यदि पुलिस को लगता है कि आरोपी केस से जुड़े सबूत और गवाह को प्रभावित कर सकता है, तब ऐसी स्थिति में गिरफ्तारी तो की जा सकती है, लेकिन इसकी वजह कोर्ट को बताना पड़ेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!