ग्राम की महिलाओं ने जगह जगह भुजरिया तोड़ी, पुरानी परंपराएं विलुप्त होने की कगार पर

आनंदपुर डेस्क :

रक्षाबंधन की 1 दिन बाद मनाए जाने वाले कजलिया भुजरिया पर्व आनंदपुर सहित समूचे क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम और भाईचारे से मनाया गया दोपहर उपरांत महिलाएं अपने घरों से भुजरियों की पूजन कर बाहर निकाल कर लाई और एक जगह एकत्रित होकर गेहूं के दाने हाथों में लेकर उनकी परिक्रमा करते हुए गुजरिया के गीत गा रही थी तत्पश्चात सभी महिलाएं अपनी अपनी सुविधा के अनुसार जगह-जगह कजरिया भुजारिया तोड़ने ले गई। जिसके उपरांत सभी लोगों ने सर्वप्रथम अपने ईष्ट देव को भुजरियां अर्पित कर एक दूसरे से भुजरियां ली और कहा भुजारियो की मेहरबानिये रकियागा कहा कर शुभकामनाएं दी। भुजरियां मिलन वा शुभकामनाएं का सिलसिला देर रात तक चलता रहा


विलुप्त होती परंपराएं –

उल्लेखनीय है कि पहले हर बार भुजरिया पर्व पर आनंदपुर ग्राम की सारी भुजरिया एक ही स्थान पर एकत्रित होती थी और ग्राम के बड़े बुजुर्ग लहंगी नृत्य करते हुए लहंगी गाते नजर आते थे और महिलाए सावन के गीत गाती थी पुरुषों को तो तीन-तीन चार-चार घंटे लेंहगी नृत्य करने में ही निकल जाता था और पता ही नहीं चलता था कि कब 3-4 घंटे हो गए, लेकिन अब समय बीतने के पश्चात यह पुरानी परंपराएं विलुप्त होने की कगार पर है आनंदपुर में अब तो हर मोहल्ले में अपने अपने हिसाब से कोई कुआं पर तो कोई 2 किलोमीटर दूर तालाब पर भुजरिया तोड़ने के लिए जाते हैं नहीं तो एक समय ऐसा था कि गांव की भुजरिया देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे और कहते थे कि वाकई आनंदपुर में आनंद होता है लेकिन यह सब अब देखने को नहीं मिलता।

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