मध्यप्रदेश में अब बेटियों की ढाल बनी लाल चुनर समूह की टीम: चार साल में 714 बेटियों को दलालों के चंगुल से मुक्त कराया

राजगढ डेस्क :

नातरा और झगड़ा जैसी कुप्रथा के लिए बदनाम राजगढ़ जिले में अब बेटियां सुरक्षित हैं। 10 साल पहले तक यहां के पिछड़े गांवों में बेटियों को बेचने की प्रथा थी, लेकिन अब इनमें कमी आई है। 4,337 महिलाएं मां की तरह बेटियों को कुप्रथाओं से बचाने में जुटी हैं। यह सब महिलाएं हैं ‘लाल चुनर समूह’ की।

ये महिलाएं राजस्थान के झालावाड़ और मप्र के राजगढ़, रतलाम, नीमच, आगर-मालवा व मंदसौर जिले में चार साल से काम कर रही हैं। समूह की संरक्षक मोना सुस्तानी बताती हैं। कि 2019 से अब तक 1,356 पीड़ित बेटियों ने हमसे मदद मांगी। इनमें से 714 बेटियों को सामाजिक दलालों के चंगुल से मुक्त कराने के साथ 275 बेटियों के पुनर्विवाह करवाकर ग्रहस्थी भी बसाई। अशिक्षा व सामाजिक प्रथा में शामिल बाल सगाई व बाल विवाह इस विवाद की मूल वजह हैं।

जानिए- क्या है नातरा व झगड़ा कुप्रथा

नातरा- मोटी रकम लेकर लड़की को एक जगह से दूसरी जगह बेचने की परंपरा नातरा के नाम से प्रचलित है। इस रकम को चुकाने के लिए बेटी का पिता ही मजबूर होकर अपनी बेटी की शादी ऐसे परिवार में करता है, जो दलालों द्वारा मांगी जाने वाली मोटी रकम चुका सके। ये रकम 5 से लेकर 20 लाख रुपए तक होती है।

झगड़ा प्रथा- विवाह न करने या रिश्ता नामंजूर होने पर वधु पक्ष द्वारा दी जाने या ली जाने वाली राशि झगड़ा के नाम से प्रचलित है। सामाजिक पंचायत में दलाल मोटी रकम लेकर मध्यस्थता करते रहे हैं। राशि वसूली के लिए दबाव बनाने वधू पक्ष व पड़ोसियों की फसलों को नष्ट करने, आगजनी व तोड़-फोड़ की वारदातें भी आम है।

कुप्रथा इन समाज में ज्यादा- तंवर, सौंधिया, दांगी, गुर्जर, धाकड़ व अनुसूचित जाति, जनजाति सहित अन्य समाजों में प्रचलित ये कुप्रथा पुरानी है। हालांकि अब समाजों में जागरुकता आने लगी हैं। लाल चुनर समूह की महिलाएं इन गांवों में जाकर बेटियों और उनके परिवार वालों को जागरुक करती हैं।

संघर्ष में सहारा बनी लाल चुनर टीम, कराया निपटारा
राजगढ़ ब्लॉक के एक गांव की रहने वाली निर्भया (परिवर्तित नाम) की शादी 2012 में हुई थी। शादी के बाद पता चला कि पति नपुंसक है। तलाक की बात अई तो ससुराल वाले 7 लाख रुपए ‘झगड़े’ के रूप में मांग रहे थे। 2016 में कोर्ट में केस किया फिर 2019 में लाल चुनर समूह से संपर्क किया। समूह की महिलाओं ने कार्रवाई का डर दिखाया तो कोर्ट में समझौता हो गया। 2020 में निर्भया का पुनर्विवाह हुआ। अब उसकी एक बेटी है।

राजस्थान की शीला ने पुनर्विवाह किया तो पूर्व पति ने 20 लाख रुपए मांगे

राजस्थान के खेरखेड़ीघटा निवासी शीलाबाई का विवाह बचपन में ही बलवटपुरा के नवलसिंह से तय हुआ था। शादी के बाद से ही पति उसे बदसूरत कहकर दोबारा लेने नहीं आया। शीला कुछ महीनों तक माता-पिता के साथ रही। 2019 में राजगढ़ के फत्तुखेड़ी गांव में परिजनों ने उसका पुनर्विवाह कर दिया। इससे नाराज पूर्व पति ने सुसरालियों पर 20 लाख रुपए लेने का दबाव बनाते हुए नुकसान की धमकी देना शुरू किया और गांव में आगजनी भी की। लाल चुनर समूह ने बलवटपुरा पहुंचकर नवलसिंह व परिवार को समझाइश दी। पहले तो वे झगड़े की रकम लेने की जिद पर अड़े रहे, बाद में कार्रवाई के डर से तेवर नरम पड़े व नवलसिंह ने माफी मांगी थी।

मोना बताती हैं- मेरा विवाह 12 जुलाई 1989 को सुस्तानी गांव के धाकड़ परिवार में हुआ। गांव में नातरा और झगड़ा प्रथा देख मैं दंग रह गईं। बाद में पता चला पूरे राजगढ़ जिले में यह प्रथा चली आ रही थी। इस कुप्रथा को मिटाने मैंने 2013 में लाल चुनर संस्था का गठन किया। 2019 से यह संस्था सक्रिय हुई। मैंने गांव-गांव जाकर बेटियों को जागरुक किया। हमारा संगठन गुलाबी गैंग की तर्ज पर काम करता है। लेकिन, हिंसा नहीं। जागरुकता और प्रशासन व पुलिस के सहयोग के साथ-साथ वैधानिक प्रक्रिया से कुप्रथा के खिलाफ लड़ रहे हैं।

एसपी वीरेंद्रकुमार सिंह कहते हैं कि नातरा-झगड़ा प्रथा की मूल वजह बाल सगाई व बाल विवाह है। इसे रोकने के लिए सुरक्षा समितियों, मैदानी कर्मचारियों के साथ ही हम विभाग खूफिया तंत्र के माध्यम से जानकारी जुटा रहे हैं। लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं। महिलाओं का समूह लाल चुनर जिले में काफी समय से काम कर रहा है। कई मामले निपटाए भी हैं। यह सक्रिय संस्था है। पुलिस को भी मदद मिलती है और समाज में जागरुकता भी आती है।

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