मुख्य बाजार में आए दिन विवाद और लड़ाई झगड़े की स्थिति बढ़ती ही जा रही है: कारण अतिक्रमण और आवारा मावेसी। गाय के नाम पर सिर्फ राजनीति

आनंदपुर डेस्क :

आनंदपुर के मुख्य बाजार में आए दिन विवाद और लड़ाई झगड़े की स्थिति बढ़ती ही जा रही है इसके दो ही मुख्य कारण है पहला पूरे बाजार में अतिक्रमण और दूसरा आवारा मवेशियों, यहां पर बाज़ार में जो दुकानदार हैं वह अपनी दुकान का सामान बाहर रख देते हैं और तो और कहीं दुकानदारों ने तो अपनी दुकान के जीना तक रोड की नालियों पर रख दिए हैं जो भी खरीदार खरीदारी करने आते हैं वह भी जगह न होने के कारण रोड पर ही अपने दो पहिया/ चार पहिया वाहन मुख्य सड़क पर ही खड़े कर खरीदारी करने में व्यस्त हो जाते हैं साथ ही जो रही सही कसर बच्ची है उसे आवारा मवेशी पूरा कर देती है क्योंकि इस समय आनंदपुर में 1000 से अधिक आवारा मवेशियों घूम रही हैं और वह रोड पर जगह-जगह झुंड के झुंड बैठे रहते हैं जिसके चलते बड़ी दुर्घटना और जाम की स्थिति बनती है।


रविवार शाम 6:00 बजे की बात है जब मुख्य बाजार से एक बड़ा ट्रॉला गुजर रहा था ड्राइवर ने एक गाय के बछड़े को बचाना चाहा तो अगले पहिए से तो बच गया लेकिन ट्रॉला का पिछला पहिया उस बछड़े के पैर पर चढ़ गया और पैर मैं चोट आ गई जिससे खून बहने लगा आसपास के कुछ ग्रामीण जन एकत्रित हुए और ट्रॉला को रोक लिया ड्राइवर को उतार कर उसके साथ मारपीट करने लगे तभी ग्राम के संतोष शर्मा भीड़ देखकर वहां पहुंचे और उन्होंने सभी को समझाया और ड्राइवर को वहां से जाने दिया।

गाय के नाम पर सिर्फ राजनीति

अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह आवारा मवेशियों है किसकी क्योंकि यह उन्हीं किसानों पशु पालकों की है जो दूध तो बड़े आराम से निकालकर खाते हैं और दूध न देने के पश्चात इन गायों को आवारा छोड़ देते हैं इन गायों के चलते कई बार घटनाएं होती हैं और विवाद की स्थिति बनती है
गाय के नाम पर सिर्फ राजनीति करना है ग्राम के ग्रामीण जनों ने बताया कि आज के समय में राजनीतिक पार्टियां और कुछ स्वार्थी लोग गाय के नाम पर सिर्फ अपनी राजनीति चमकाना चाहते है लेकिन इन गायों के लिए कार्य कुछ नहीं अब कहां गए वह गौ रक्षक जो जोर जोर से चिल्ला चिल्ला कर नारे तो लगाते हैं की गाय हमारी माता है और गौ माता की जय हो लेकिन इतनी बड़ी संख्या में आज ग्राम आनंदपुर में ही हजारों की संख्या में यह आवारा गाय घूम रही हैं यदि यह सच्चे गायों के हितेषी हैं तो अपने अपने घर पर क्यों नहीं एक – एक गाय बांध लेते या फिर सिर्फ गाय के नाम पर राजनीति ही करना आता है। यदि किसी गाय के किसी महान द्वारा चोट लग जाए तो कुछ लोग जो गाय के नाम पर राजनीति करते हैं वह दौड़कर आ जाते हैं और उस व्यक्ति के साथ हाथापाई कर मारपीट करने लगते हैं लेकिन यह लोग उस समय कहां चले जाते हैं तभी आवारा मवेशियों के कारण बड़ी दुर्घटना का शिकार हो होकर व्यक्ति घायल हो जाता है उस समय यह उस व्यक्ति की मदद के लिए आगे क्यों नहीं आते

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