विदिशा की इतिहासिक रामलीला में राम का किया राज्याभिषेक: रामराज बैठे त्रैलोका, हरषित भए गए सब सोका

विदिशा डेस्क :

लगातार 28 दिनों तक चलने वाली शहर की 122 साल पुरानी ऐतिहासिक रामलीला में बुधवार को 27वें दिन श्रीराम के राज्याभिषेक का मंचन किया गया। इसमें गुरुदेव वशिष्ठ राम का राज तिलक करते हैं। इसके बाद राम अपनी प्रजा की सेवा करने का संकल्प लेते हैं। राम के राजा बनते ही पूरी अयोध्या में बधाइयां बजने लगती हैं। सभी खुशी होते हैं। नगर की ऐतिहासिक रामलीला में बुधवार को जहां राजा बने रघुरैया, अवधपुर बाजे बधैया जैसे भजन चल रहे थे वहीं मंच पर पात्रों ने श्री राम के राज्याभिषेक की प्रस्तुति दी।

कुलगुरु वशिष्ठ ने स्वस्ति वाचन और शांति पाठ के साथ श्री राम का राज्याभिषेक किया। अयोध्या का राजकाज संभालने के बाद राम ने प्रजाजनों को संबोधित करते हुए कहा कि आज से प्रजा का सुख ही मेरे लिए सर्वोपरि है। एक ही परिवार पहनाता है राम को पोशाक: रामलीला से जुड़े डा.सुधांशु मिश्रा बताते हैं कि रामलीला में रामादि प्रमुख पात्रों को 122 साल से एक ही परिवार के लोग पोशाक, पैताबें, ध्वज, रुमाल, विमान के कवर आदि सामग्री बनाने का काम करते आ रहे हैं।

आज शोभायात्रा के साथ होगा समापन
गुरुवार को रामलीला मंचन के 28वें दिन श्रीरामजी की भव्य शोभायात्रा शहर में निकाली जाएगी। इसके बाद भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर नंदवाना पहुंचकर विश्राम करेंगे।

श्रीरामचरितमानस के उत्तरकांड में गोस्वामी तुलसीदासजी ने राम राज का बखान ऐसे किया

रामराज बैठे त्रैलोका, हरषित भए गए सब सोका। बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप विषमता खोई। दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहिं काहुहि ब्यापा। अल्प मृत्यु नहिं कवनिउ पीरा, सब सुंदर सब बिरुज सरीरा। नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना। सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी, सब कृतज्ञ नहिं कपट सयानी।

अर्थात श्री राम के सिंहासन पर आसीन होते ही सर्वत्र हर्ष व्याप्त हो गया, सारे भय-शोक दूर हो गए एवं प्रजा को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति मिल गई। इसका प्रमुख कारण यह है कि रामराज में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं था। इसीलिए कोई भी अल्प मृत्यु, रोग-पीड़ा से ग्रस्त नहीं था। सभी स्वस्थ, बुद्धिमान, साक्षर, गुणज्ञ, ज्ञानी तथा कृतज्ञ थे। हर जाति वर्ग का व्यक्ति और जीव एक घाट पर पानी पीते थे।

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