मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नई घोषणा के बाद सियासी चर्चाएं शुरू: राज्य में 75 लाख परिवार को 500 रुपए में सिलेंडर, 2.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को फायदा; अप्रैल-2023 से मिलने लगेंगे

जयपुर डेस्क :

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सोमवार को अलवर के मालाखेड़ा में जरुरतमंदों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर मुहैया कराने की घोषणा की। गहलोत की इस घोषणा के बाद राजस्थान सहित पूरे देश में इसकी चर्चाएं होने लग गई हैं।

देशभर का बड़ा वर्ग इस पहल का स्वागत कर रहा है। वहीं, एक हिस्सा इसे जमीनी तौर पर टेस्ट करने की बात कर रहा है। मगर सियासी जानकारों का कहना है कि इससे अशोक गहलोत ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। यदि यह योजना लागू हुई तो प्रदेश में 2.5 करोड़ लोगों को राहत मिलेगी।

गहलोत की इस घोषणा का आम जनता, राजस्थान की सरकार, कांग्रेस, बीजेपी और प्रदेश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। आइये, जानते हैं- कैसा रहेगा गहलोत का यह सियासी स्ट्रोक, क्या हैं इसके मायने?

सबसे पहले देखते हैं- किन लोगों को फायदा होगा?

दरअसल, यह योजना सिर्फ उन परिवारों के लिए है, जो राजस्थान में बीपीएल श्रेणी में हैं या फिर केंद्र की उज्जवला योजना के तहत एलपीजी गैस सिलेंडर लेते हैं। ऐसे ग्राहकों को यह सिलेंडर 500 रुपए में राजस्थान सरकार मुहैया कराएगी। फिलहाल साधारण तौर पर सिलेंडर राजस्थान में लगभग 1050 रुपए में मिलता है। ऐसे में 1 अप्रैल 2023 से इन दो कैटेगरी के परिवारों को आधी से भी कम कीमत पर गैस सिलेंडर मिल सकेगा।

उज्जवला योजना में कुल 69 लाख उपभोक्तों को मिले सिलेंडर

सिर्फ तीन एजेंसी इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचीपीसीएल को ही सब्सिडी दरों पर रीफिलींग की अनुमति है।

इंडियन ऑयल: 29 लाख

बीपीसीएल: 21 लाख

एचपीसीएल: 19 लाख

इस तरह 69 लाख उज्जवला उपभोक्ताओं को राजस्थान में 850 रुपए प्रति सिलेंडर की दर से गैस मिलती है। उज्जवला उपभोक्ताओं को केंद्र से 200 रुपए सब्सिडी मिलती है।

इसी तरह राजस्थान से बीपीएल श्रेणी में 6 लाख उपभोक्ता रजिस्टर्ड हैं।

इंडियन ऑयल: 3 लाख

बीपीसीएल: 1.5 लाख

एचपीसीएल: 1.5 लाख

इस तरह बीपीएल श्रेणी के 6 लाख उपभोक्ताओं को राजस्थान में सामान्य 1050 रुपए प्रति सिलेंडर की दर से गैस मिलती है। इन्हें उज्जवला योजना वाली 200 रुपए सब्सिडी भी नहीं मिलती।

राजस्थान का फूड डिपार्टमेंट और सेंटर का पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का मानना है कि राजस्थान में औसतन 3 से 4 लोगों के परिवार के बीच एक सिलेंडर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में इन 75 लाख उपभोक्ताओं को राजस्थान सरकार जब सस्ता सिलेंडर देगी तो इसका सीधा असर लगभग 2.25 करोड़ लोगों पर पड़ेगा।

सरकार पर पड़ेगा कितना वित्तीय बोझ

खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी लोगों को फायदा देना चाहती है जिन्हें उज्जवला के नाम पर सिर्फ छला गया है। सिर्फ एक बार सिलेंडर मिलता है और फिर पूरे पैसे देने पड़ते हैं। हम उज्जवला और बीपीएल वालों को यह सिलेंडर 500 रुपए में देंगे। जो बाकी पैसा होगा वह राज्य सरकार अपनी जेब से केंद्र सरकार को देगी। हम जनता का बोझ कम करना चाहते हैं।

जब हमने इसकी जानकारी जुटाई तो सामने आया कि इन 75 लाख उपभोक्ताओं को 500 रुपए में सिलेंडर देने से राज्य सरकार पर हर साल अतिरिक्त लगभग 3300 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। सरकार साल में 12 सिलेंडर इस दर से उपलब्ध कराएगी।

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बजट में घोषणा और प्रावधान, अगले वित्तीय वर्ष से लागू

वित्तीय जानकारों का कहना है कि अभी यह सिर्फ घोषणा है। मगर उम्मीद है कि सरकार के अगले बजट में इसकी विधिवत घोषणा की जाए और इसका प्रावधान किया जाए। उसके बाद अगले वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से इसे लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में अगली सरकार जिसकी भी बनेगी, उसपर इसका ज्यादा असर पड़ेगा।

गहलोत का बड़ा सियासी दांव, एक तीर से कई निशाने

राजनीतिक जानकारों और कांग्रेस के करीबी कई लोगों का कहना है कि गहलोत ने इस कदम से एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं। बढ़ती महंगाई के दौर में जहां गहलोत ने एक तो लोअर और लोअर मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी है। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक तौर पर विपक्षी बीजेपी और अपने ही प्रतिद्वंदी दूसरे गुट के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी है।

पहला निशाना : जनता को राहत देकर दिल जीतना

गहलोत ने मंहगाई के दौर में कई घरों में रियायती सिलेंडर पहुंचकर जनता के बीच जगह बनाने की कोशिश की है। पहले ही चिरंजीवी, शहरी गारंटी जैसी योजनाओं का पॉजिटिव असर लोगों के बीच है। अब रियायती दरों पर सिलेंडर देकर चुनाव से ठीक पहले गहलोत ने राजस्थान की जनता का दिल जीतने की कोशिश की है।

दूसरा निशाना : बीजेपी को आईना, मुश्किलें खड़ी की

बीजेपी की केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के उपभोक्ताओं को ही इसमें शामिल कर गहलोत ने बीजेपी को आईना दिखाने की कोशिश की है। इससे एक ओर जहां वे उज्जवला योजना को कम असरदार साबित करना चाहते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस को जरुरतमंदों का असली हितैषी बताना चाहते हैं। इससे गहलोत ने बीजेपी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी है।

तीसरा निशाना : प्रतिद्वंदी गुट के लिए भी दिक्कतें, हाईकमान को मैसेज

गहलोत लगातार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र हाईकमान से करते आ रहे हैं। राहुल गांधी ने भी राजस्थान सरकार की योजनाओं की तारीफ की है। गहलोत गुट के नेता भी लगातार गहलोत की योजनाओं की दुहाई देकर उन्हें नहीं हटाने की बात कहते आए हैं।

ऐसे में इस निर्णय से गहलोत ने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट गुट के लिए भी मुश्किलें खड़ी कीर दी है। इससे उन्होंने हाईकमान को भी मैसेज दिया है कि वे कितनी कल्याणकारी योजनाएं राजस्थान में लगातार ला रहे हैं।

ऐसे में सियासी अस्थिरता के बीच वे हाईकमान को गुड गवर्नेंस का मैसेज भी देना चाहते हैं। बता दें गहलोत ने जब यह घोषणा की तब मौके पर राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

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