करौंदा गांव में अभी भी ग्रामीणों को कच्चे और दलदली रास्ते से होकर जाना पड़ता है, हालात यह है कि बारिश में गांव के लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं

विदिशा डेस्क :

देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है।  लेकिन करौंदा कला के ग्रामीण आज भी रास्तों की त्रासदी से मुक्त नहीं हो पाए।  यह 2 गांव ऐसे हैं जहां अभी भी ग्रामीणों को पक्के रास्ते तक पहुंचने के लिए चारों ओर 2 से 3 किलोमीटर कच्चे और दलदली रास्ते से होकर जाना पड़ता है हालात यह है कि बारिश में गांव के लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं क्योंकि इन रास्तों पर पड़ने वाले नालों पर पुलिया भी नहीं है पानी भरा रहता है इस कारण निकल नहीं पाते। वर्तमान में हालात यह है कि किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने के लिए कीचड़ के बीच से निकलकर आना जाना पड़ता है विकासखंड के ग्राम पंचायत कालापाठा अंतर्गत करौंदा कला एक ऐसा गांव है जिसके चारों ओर पक्के मार्ग हैं लेकिन इन पक्के मार्गो तक पहुंचने के लिए गांव के लोगों को आज भी कच्चे मार्ग से ही हो कर जाना आना पड़ता है ग्राम के संजय ठाकुर कहते हैं कि ग्राम विनायक खेड़ी से गांव तक पहुंचने के लिए पूर्व में डेढ़ किलोमीटर लंबा सबसे छोटा रास्ता था उस पर लोगों ने कब्जा कर लिया है इसके परिणाम स्वरूप गांव के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए आटा सेमर, इमला धाम, गजनई,  पड़रई , कालापाठा।  स्थित पक्के रास्ते तक जाना पड़ता है 

7000 मतदाता हैं गांव में 

 कहने को तो ग्राम में 7000 मतदाता है लेकिन इस गांव में आने जाने के लिए जितने भी रास्ते वर्तमान में उपलब्ध है लेकिन है सभी कच्चे हैं कच्चे रास्तों के नालों पर पुलिया तक नहीं बनी प्रेम सिंह रघुवंशी , देवेंद्र सिंह रघुवंशी ने बताया कि 4 महीने गांव के लोग बारिश के दौरान दलदली रास्ते से होकर आने जाने को मजबूर होते हैं बीमार वृद्ध गर्भवती महिलाओं को उपचार के लिए खाट पर लेटा कर पालकी की तरह लेकर जाना पड़ता है।  कालापाठा के वर्तमान सरपंच महेंद्र सिंह ने बताया कि इस गांव को प्रधानमंत्री सड़क से जोड़ने के लिए पूर्व में ग्रामीण जन मांग कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई जनपद अध्यक्ष नीतू सिंह रघुवंशी का कहना है कि गांव-गांव को आपस में जोड़ने वाले कच्चे रास्तों के निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है इससे सड़कों के निर्माण की स्वीकृति 

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