पहली बार इंदौर के निजी हॉस्पिटल में 8 डॉक्टरों और 20 से ज्यादा नर्सों की टीम ने एकसाथ दो लिवर ट्रांसप्लांट किए

इंदौर डेस्क :

पहली बार इंदौर के निजी हॉस्पिटल में 8 डॉक्टरों और 20 से ज्यादा नर्सों की टीम ने एकसाथ दो लिवर ट्रांसप्लांट किए। एक ही ऑपरेशन थिएटर में चार ऑपरेशन हुए। दोनों ही मामलों में लिवर देने वाली महिलाएं हैं। मां ने बेटे को तो पत्नी ने पति को नया जीवन दिया। दोनों ही मरीज ठीक हैं।

चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इस तरह का ट्रांसप्लांट पहली बार किया गया। 52 वर्षीय पति की जान बचाने के लिए पत्नी ने और 27 साल के बेटे को मां ने लिवर डोनेट किया। सुबह 6 से शाम 4 बजे तक ऑपरेशन चले। 20 दिन बाद अब दोनों ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है

देश में 95% सफलता दर है ट्रांसप्लांट की

लिवर ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व कर रहे डिपार्टमेंट ऑफ लिवर एंड बिलियरी डिसीज के विभाग प्रमुख डॉ. अजय जैन ने बताया देश लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की सफलता दर लगभग 95 फीसदी है। खास बात यह है कि महिलाओं का जज्बा कमाल का होता है। 80 फीसदी मामलों में डोनर महिलाएं ही होती हैं। हमारे संस्थान में 4 साल में 24 लिवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। सर्जरी के बाद सभी मरीज सामान्य रूप से जीवन जी सकते हैं।

डॉक्टरों की टीम में- डॉ. विवेक विज और डॉ. सुदेश शारदा के निर्देशन में डॉ. पीयूष श्रीवास्तव, डॉ. नितिन शर्मा, डॉ. नीरज गुप्ता, 20 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन की टीम। ऑपरेशन के बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. संजय दीक्षित भी मरीजों से मिलने गए।

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