अम्मा कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राज्य के 20 जिलों में सफल , अब से राज्य के समस्त 33 जिलों में योजना का दायरा बढ़ाने की घोषणा

जयपुर डेस्क :

निदेशालय समेकित बाल विकास सेवाएं और यूनिसेफ राजस्थान के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को जयपुर के एक होटल में 06 माह से 59 माह तक के बच्चों में कुपोषण-प्रबंधन पर एक राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि एवं महिला एवं बाल विकास के शासन सचिव दिनेश कुमार यादव ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान में एक भी बच्चा कुपोषित न रहे, इसके लिए हम सभी को दृढ़ता के साथ टीम भावना से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में सौ प्रतिशत सुपोषण सुनिश्चित करने का संकल्प लेकर ही हमें कार्य करना होगा।

यादव ने कहा कि राज्य के 20 जिलों में सफलता पूर्वक संचालन के कारण शेष 13 जिलों में भी इस कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है। उन्होंने अब से राज्य के समस्त 33 जिलों में योजना का दायरा बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पूर्ण उत्साह और टीम भावना के साथ अब राज्य के बाकी 13 जिलों सहित समस्त 33 जिलों में कार्य किया जाए। 

कार्यशाला में निदेशक समेकित बाल विकास सेवाएं रामावतार मीणा ने कहा कि  पोषण के लिए ‘अम्मा’ जैसे कार्यक्रम बहुत आवश्यक है। अम्मा कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राज्य के 20 जिलों में सफल रहा है, इसी को दृष्टिगत रखते हुए इसे समूचे राजस्थान में लागू किया गया है। जिसके अंतर्गत विकास निगरानी हेतु उपकरणों का सभी 33 जिलों में वितरण किया जा चुका है। एक वेबसाइट भी विकसित की गई है, जो बेहतर और वास्तविक समय पर आंगनबाड़ी से राज्य स्तर तक डाटा शेयर करेगी।

संयुक्त परियोजना समन्वयक, समेकित बाल विकास सेवाएं डॉ मंजू यादव ने अम्मा कार्यक्रम के संचालन में यूनिसेफ की ओर से किए जा रहे बेहतरीन कार्य की प्रशंसा करते हुए उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों में कुपोषण की पहचान करना एक कठिन कार्य है और उससे भी ज्यादा कठिन है, कुपोषण को दूर करना। अम्मा कार्यक्रम के तहत आईसीडीएस यूनिसेफ के सहयोग से इस कठिन कार्य को सफलतापूर्वक कर रहा है। उन्होंने बताया कि निदेशालय समेकित बाल विकास सेवाएं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयासों से अगस्त 2021 से नवाचार के अंतर्गत 20 जिलों में अम्मा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कार्यशाला में अम्मा कार्यक्रम के परिणामों को भी साझा किया। 

डॉ. यादव ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर अति कुपोषित बच्चों के प्रबंधन के लिए एक संयुक्त मार्गदर्शिका जारी की गई। अम्मा कार्यक्रम के तहत अगस्त माह तक औसतन 20 लाख बच्चे हर माह स्क्रीन किए गए। उन्होंने बताया कि कुपोषण के सफल सामुदायिक और संस्थागत प्रबंधन के लिए निदेशालय समेकित बाल विकास सेवाएं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मध्य बेहतर तालमेल की निरंतर आवश्यकता है। उन्होंने नवजात शिशु के गृह-आधारित देखभाल और वर्तमान में संचालित IYCF, MAA, HBYC कार्यक्रमों की गहन निगरानी रखने पर भी जोर दिया।

कार्यशाला में डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी प्रोजेक्ट डायरेक्टर चाइल्ड हेल्थ एनएचएम ने कहा कि कुपोषण संभावित बच्चों की स्क्रीनिंग में अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान को गति प्रदान किया जाना बहुत जरुरी है।

इस अवसर पर आर सी ओ इ, उदयपुर के अधीक्षक डॉक्टर आर एल सुमन ने कहा कि कुपोषित बच्चों के आगमन पर ममता कार्ड में सूचना दर्ज किया जाना अति आवश्यक है। ऐसा करके ही हम सभी कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में कामयाब हो सकेंगे।

कार्यशाला में निदेशक समेकित बाल विकास सेवाएं श्री राम अवतार मीणा चीफ,फील्ड ऑफिसर, यूनिसेफ श्रीमती इजाबेल बार्डेम एवं मंचासीन अधिकारियों द्वारा अम्मा कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कार्मिकों और अधिकारियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

इससे पूर्व राज्य के 20 जिलों में संचालित इस योजना के बारे यूनिसेफ की ओर से विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।कार्यशाला के अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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