बाढ़ के बाद जाजमखेड़ी में दिखने लगा नुकसान,ग्राम के लोंगों में भय ऐसा की सब छूट जाए पर भगवान हमको आज बचा ले,पानी के सिंध के रुद्र रूप से अभी भी सहमे है,जाजमखेड़ी के लोग।

बाढ़ के बाद का भयवाहा मंजर newsupdate24x7 की ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट

आनंदपुर डेस्क :

आज newsupdate24x7 की टीम ने जाजमखेड़ी में 22 अगस्त को आई बाढ़ के बाद गांव पहुँचकर हाल जाना। ग्रामीणों में आज भी 22 अगस्त की सुबह और रात्रि में सिंध नदी के रुद्र रुप और चारों तरफ पानी के तांडव को याद करके भय, डर आ जाता है,पहली बार लोंगों ने यह सिंध नदी का यह जल प्रलय देखा है। 

ग्रामीणों ने बताया की हमको सिर्फ भगवान से ही आस थी,और कोई नहीं बचा सकता था,नदी 22 अगस्त सोमवार सुबह 6 बजे के करीब गाँव मे भराने लगी थी,जैसे जैसे बारिश हो रही थी वैसे वैसे नदी का जल स्तर बढ़ रहा था,और 8 बजे के करीब तो गाँव के चारों ओर नदी फैल गई जो जिस घर मे था वहीं रह गया,घर के बहार 5-;5 फिट के करीब पानी लगा था,मवेशियों को निकालकर खुला छोड़ दिया था और कच्चे मकान गिरने लगे जो पक्के मकान थे वह पानी से चारों ओर से घिर गए थे,प्रशासन लगातार संपर्क में तो था पर क्या कर सकता था,लगभग 500 लोंगों की आबादी को कैसे निकालें और बच्चे,बूढ़ों का क्या होगा,सिर्फ भय और डर के कारण लोंगों का बुरा हाल था। 

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ग्राम के वीर सिंह बघेल,सौदान सिंह बघेल आदि ने बताया की नदी का जल स्तर बढ़ते ही लोंगों ने अपना अपना अनाज,घर गृहस्थी आदि का जो सामान पानी से बचा सकते थे,बचाने में लग गए,गांव की गलियों में पानी का इतना तेज बहाव था की कोई भी घर से एक कदम नहीं निकल सकता था,घरों के अंदर बच्चों में डर और भय भरा गया था, 35 वर्ष पहले इस तरह नदी ने गाँव को चारों ओर से घेर था,पर उस समय भी इतना भयानक मंजर नहीं देखा था,सोमवार को घरों में खाना भी नहीं बना डर के कारण लोंगों को सिर्फ कैसे भी पानी कम हो या भगवान किसी को मदद के लिये भेज दे,जाजमखेड़ी के चारों ओर नदी फैलने से गाँव एक टापू बन जाता है,और हर वर्ष लगातार कटाव से यह घरों से लगकर ही बहती है,जिससे बाढ़ आने पर ग्रामीणों को छतों पर शरण लेना पड़ती है। 

ग्राम के पटेल चन्द्रभान सिंह बघेल ने बताया की इस बाढ़ से फसल,अनाज,पाइप आदि का बहुत नुकसान हुआ है,कई किसानों के पानी के पाइप बह गए,अनाज खराब हो गया,कच्चे मकान गिर गए,और सोयाबीन के खेतों में पानी भर गया,अगर सोमवार को सुबह एकाध घण्टा और बारिश हो जाती तो जाजमखेड़ी गाँव पूरी तरह डूब में आ जाता,दरवाजे से लगकर नदी का तेज बहाव था,जो घर नीचे थे उनमें पानी भरा गया था,एसडीएम, तहसीलदार लगतार सम्पर्क कर रहे थे पर निकलने का कोई भी रास्ता नहीं था,भगवान इस तरह की बाढ़ कभी भी न लगाए। 

22 अगस्त को सिंध नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ के हालात हो गए थे,जिसमे जाजमखेड़ी पूरी तरह घिर गया था,काछीखेड़ा, ऊलाखेड़ी, लोधाखेड़ी, मुबारकपुर आदि में भी बाढ़ से नुकसान हुआ है,इन सभी गांवों के हालात ठीक नहीं थे,।

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