बूढ़ाखेड़ा वाले हनुमान जी महाराज को पैदल ध्वज यात्रा निकालकर अर्पण की: डीजे और देसी ढपलाओ की थाप पर नाचे युवा

आनंदपुर डेस्क :

भगवान राम के अनन्य भक्तों में से एक हनुमान जी महाराज के प्रकटोत्सव के अवसर पर आनंदपुर के हनुमान भक्तों ने पैदल ध्वज यात्रा निकालकर बुढ़ा खेड़ा वाले हनुमान जी को अर्पित की।


यह पैदल ध्वज यात्रा आनंदपुर के शिव मंदिर से प्रारंभ हुई और मुख्य बाजार से होते हुए बूढ़ाखेड़ा वाले हनुमान जी के मंदिर पहुंची जहां पर सभी भक्तों ने ध्वजा अर्पण कर ग्राम सहित क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना के इससे पहले ध्वज शोभायात्रा में आनंदपुर के ग्रामीण जनों द्वारा पुष्प वर्षा कर स्वागत सत्कार किया मुख्य बाजार में कपड़ा व्यवसाही संतोष शर्मा ने सभी भक्तों को जलपान कराया यह शोभा यात्रा मुख्य रूप से आशीष शर्मा के मार्गदर्शन में निकाली गई जो की पैदल लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय कर हनुमान जी को अर्पित की गई। इस दौरान सभी भक्तजन डीजे और देसी धपलाओं की थाप पर जय श्री राम के नारे लगाते हुए नाचते गाते चल रहे थे।

बुढ़ाखेड़ा हनुमान मंदिर का संक्षिप्त परिचय

आनंदपुर सहित समूचे क्षेत्र में बुढ़ाखेड़ा वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध यह सिद्ध स्थान सदियों पुराना बताया जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित अशोक शर्मा कहते हैं कि हमारे पूर्वज बताते आए हैं की यह जो हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है लगभग 1000 वर्ष पुरानी है इस स्थान पर ही प्रकट हुई थी यहां पर एक पीपल और इमली के पेड़ थे इमली तो अभी भी यही है। इस स्थान पर पहले घना जंगल था और एक रांज में हनुमान जी की यह मूर्ति प्रकट हुई थी। बात 1975 की होगी जब एक महात्मा जी आए थे

यहां और उन्होंने हनुमान जी की मूर्ति देखकर एक छोटी सी मडिया का निर्माण कराया था जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर था समय बीतने के पश्चात हमारे परिवार को इस इस मडिया और हनुमान जी की पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और 1980 में आनंदपुर सहित आसपास के ग्रामीण जनों के सहयोग से एक छोटी मडिया का निर्माण कराया और हनुमान जी का मुख दक्षिण पूर्व की ओर किया गया हमारे परिवार वालों को बड़ी हवेली और चोला वाले महाराज के नाम से ही पूरे क्षेत्र में जाना जाता है। क्योंकि हमारे पिताजी सहित हमारे पूर्व के मंगलवार और शनिवार को आनंदपुर से हनुमान जी के लिए चोला उगा कर लाते थे और चढ़ाते थे। तब से लेकर अब तक हमारे परिवारजन ही इस मंदिर की पूजा करते और अभी 3 वर्ष पहले ही समूचे ग्राम के भक्तों द्वारा ग्रामीण जनों के सहयोग से इस मंदिर का जीणोद्धार कराया है अब यह सिद्ध स्थान धीरे-धीरे सभी की आस्था और आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।

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