क्या हैं सचिन का चुनावी प्लान: 2 पार्टियां, जिनसे जोड़ा जा रहा पायलट का नाम: एक का नामोनिशान नहीं, लेकिन दूसरी पार्टी है

जयपुर डेस्क :

आज 11 जून है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि। राजस्थान की राजनीति में कई दिनों से ये तारीख सुर्खियों में है। हर किसी की नजर 11 जून तक टिकी हुई है।

क्योंकि पिछले दिनों दिल्ली मीडिया और कई न्यूज पोर्टल ने खबरें चलाई- पायलट 11 जून को कर सकते हैं नई पार्टी का ऐलान! दिल्ली मीडिया के इन कयासों के पीछे वजह ये है कि इससे पहले भी सचिन पायलट ने 11 जून, 2020 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज होकर और अपने विधायकों को इकट्ठा कर राज्य सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया था। वहीं, इसी साल 11 अप्रैल को सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन किया और 11 मई को पदयात्रा भी निकाली थी।

दिल्ली मीडिया की रिपोट्‌र्स में दो पार्टियों के नाम का भी दावा किया गया, जो सचिन पायलट शुरू कर सकते हैं- ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ और जनसंघर्ष पार्टी।

दैनिक भास्कर ने इन पार्टियों को लेकर पड़ताल की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्यों इन दोनों पार्टियों का नाम सचिन पायलट के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके लिए हमने चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारियों से बात की। साथ ही ये भी जानने की कोशिश की कि जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम ने पायलट के लिए क्या इलेक्शन प्लान डिजाइन किया है?

प्रगतिशील कांग्रेस : इस नाम की कोई पार्टी ही नहीं

मीडिया रिपोट्‌र्स में पायलट का नाम इन राजनीतिक पार्टियों से जुड़ने के बाद हमने राजस्थान में निर्वाचन विभाग से जानकारी जुटाने की कोशिश की। वहां पता चला कि प्रगतिशील कांग्रेस पार्टी से संबंधित कोई दस्तावेज ही नहीं हैं। फिर चुनाव आयोग दिल्ली में पता करने का प्रयास किया गया। वहां पता चला कि ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ नाम से कोई पार्टी रजिस्टर ही नहीं है। इसके बाद हमने जानने का प्रयास किया कि- क्या कहीं से किसी ने पार्टी बनाने के लिए आवेदन किया हो, तो एक दिन बाद जवाब मिला कि किसी तरह का कोई आवेदन भी नहीं मिला है। मतलब साफ है कि प्रगतिशील कांग्रेस नाम की कोई पार्टी ही नहीं है।

नियम : प्रक्रिया के अनुसार चुनाव आयोग में जब कोई राष्ट्रीय या रीजनल पार्टी रजिस्टर होती है तो पत्र सभी राज्यों के निर्वाचन विभाग को भेजा जाता है। इससे राज्यों के निर्वाचन विभागों को संबंधित पार्टी को लेकर जानकारी मिल जाती है और वे इस हिसाब से तैयारी भी कर लेते हैं।

जन संघर्ष पार्टी : बिहार की रीजनल पार्टी है

मीडिया रिपोट्‌र्स में सचिन पायलट का नाम जन संघर्ष पार्टी से भी जोड़ा गया। भास्कर पड़ताल में सामने आया कि इस नाम की भी कोई पार्टी राजस्थान में रजिस्टर्ड नहीं है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार ‘जन संघर्ष पार्टी’ बिहार की रीजनल पार्टी है, जिसका राजस्थान से कोई ताल्लुक नहीं है। इसका रजिस्ट्रेशन 19 जून 2020 को हुआ था। रजिस्टर्ड ऑफिस बिहार के चंपारन में स्थित है। इस पार्टी के अध्यक्ष सैयद गुलरोज होडा हैं। इन पार्टियों की गिनती अमान्यता प्राप्त रजिस्ट्रीकृत राजनीतिक दल के रूप में होती है।

नियम : हालांकि चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि ऐसा नहीं है कि बिहार की रजिस्टर्ड पार्टी राजस्थान में चुनाव नहीं लड़ सकती। लेकिन सचिन पायलट के संदर्भ में एक्सपट्‌र्स का कहना है कि पायलट ऐसी पार्टी से क्यों ताल ठोकेंगे, तो खुद उनके नाम पर नहीं हो।

केंद्रीय चुनाव आयोग में नहीं कराई पार्टी रजिस्टर

सचिन पायलट ही नहीं पूरे राजस्थान में किसी ने पिछले एक साल में केंद्रीय चुनाव आयोग (दिल्ली) में नई पार्टी रजिस्टर्ड नहीं की है। पिछले 20 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चुनावी साल में किसी राजनीतिक पार्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ।

इससे पहले साल 2003, 2008, 2013 और 2018 में किसी ने किसी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन इस बार 2023 के 5 महीने बीत चुके हैं, लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (आईएएस) डॉ. प्रवीण कुमार गुप्ता ने भास्कर को बताया कि आवेदन कोई भी कर सकता है, लेकिन आम तौर पर आवेदन के बाद चुनाव आयोग 3 से 4 महीने का समय लेकर ही रजिस्ट्रेशन करता है। ऐसे में फिलहाल कोई नई पार्टी सामने नहीं आई है।

क्या कहते हैं पायलट समर्थक

भास्कर ने सचिन पायलट के समर्थकों से बात कर जानने की कोशिश की कि-क्या पायलट नई पार्टी बनाएंगे। इस सवाल के जवाब में पायलट के नजदीकी माने जाने वाले जयपुर क्षेत्र के एक विधायक और अजमेर से जयपुर के बीच निकाली गई जन संघर्ष यात्रा के प्रमुख आयोजकों में शामिल रहे दो नेताओं ने भी बताया कि नई पार्टी बनाने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।

सचिन पायलट की बात करें तो न अब तक उन्होंने और न ही उनके समर्थकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और न ही ऐसी कोई घोषणा की है। जबकि अगर नई पार्टी बनानी हो तो आवेदनकर्ताओं को नियमानुसार शपथ पत्र देना पड़ता है कि वे किसी भी अन्य राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं। सचिन पायलट या कोई और नेता हो, नई पार्टी के लिए तब तक आवेदन नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बने हुए हैं।

नई पार्टी तो बहुत बड़ा जोखिम है

राजनीतिक टिप्पणीकार वेद माथुर का कहना है कि सचिन पायलट सीएम अशोक गहलोत के साथ बहुत उलझ चुके हैं। उनके पास बेहद मुश्किल राजनीतिक हालात हैं।

फिर भी नई पार्टी बनाना तो ज्यादा बड़ा जोखिम है। बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधन जुटाना, समय-ऊर्जा खर्च करना और कांग्रेस के झंडे तले मिलने वाले वोटों को खोना ऐसे तर्क हैं कि लगता नहीं पायलट नई पार्टी बनाएंगे।

पायलट के लिए दौरे डिजाइन कर रही प्रशांत किशोर की टीम

पायलट के करीबी विधायक का कहना है कि अब सचिन पायलट चुनाव से पहले सभी जिलों में दौरे करेंगे। इन दौरों की डिजाइन, योजना या रणनीति इलेक्शन एक्सपर्ट प्रशांत किशोर की कम्पनी आई पेक कर रही है। आई पेक पायलट के लिए दौरे डिजायन कर रही है, जिसमें वे करीब 80 विधानसभाओं को अच्छे से टच करना चाहते हैं।

करीबी सूत्रों ने बताया कि पीके की कम्पनी का काम करने की शर्त में सबसे जरूरी शर्त है कि वे कम से कम 40 सीटों पर काम करती है। इससे कम का काम हाथ में नहीं लेती और प्रति सीट 1 करोड़ रुपए तक का चार्ज करती है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि राजस्थान में काम करने आई पीके की टीम को पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की 40 सीटों पर गहराई से फोकस करना है। वहीं 40 और सीटें अपने काम में जोड़ने की योजना है। पायलट की राष्ट्रीय स्तर के नेता की छवि है, जिसे ध्यान में रखते हुए इन सीटों के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। पायलट के दौरे के समय यहां सभाएं-रैलियां और पदयात्रा भी होगी।

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