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मौसम अपडेट: मप्र में अब तक16 प्रतिशत अधिक बारिश: देश में बारिश का कोटा पूरा

भोपाल/नई दिल्ली डेस्क :

देश में मानसून को 50 दिन पूरे हो चुके हैं। अब जाकर मानसून ‘नॉर्मल’ हुआ है। अब तक 312.6 मिमी बारिश हुई, जबकि औसत 313.9 मिमी है। इससे पहले देश का औसत सामान्य से कम था। हालांंकि, जिन दक्षिणी राज्यों से मानसून ने एंट्री ली, वहां बारिश का आंकड़ा सबसे कम है। यहां औसत से 19% कम बरसात हुई है। वहीं, मप्र में मानसून की एंट्री के 25 दिन पूरे हो गए। 350 मिमी (14 इंच) हुई, जो 300.7 औसत से 16% ज्यादा है। भोपाल में 367 मिमी(14.68 इंच) बारिश हो चुकी है। यह सामान्य बारिश से 6% ज्यादा है।

मानसून सबसे अधिक राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे उत्तर और उत्तरी पश्चिमी राज्यों पर मेहरबान रहा है। यहां औसत से 43% अधिक बारिश हुई। अगले 3 दिन मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का अलर्ट है। मप्र के उज्जैन, रायसेन, सीहोर समेत नौ जिलों में अगले तीन दिन बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। भोपाल में बारिश के आसार हैं।

सीजन में पहली बार- बड़े तालाब का जलस्तर लगातार तीसरे दिन बढ़ा

राजधानी पिछले 24 घंटे में एक इंच बारिश हुई। इसमें भी रात 8 से 8:30 के बीच करीब आधा इंच बारिश रिकॉर्ड की गई। बड़े तालाब के सीहोर और भोपाल के कैचमेंट एरिया में बारिश से बड़े तालाब के जलस्तर में तीसरे दिन 0.20 फीट का इजाफा हुआ। इससे लेवल 1661.25 फीट से बढ़कर 1661.45 फीट पर पहुंच गया। सीजन में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बड़े तालाब के जलस्तर में लगातार तीन दिन बढ़ोतरी हुई।

एसबीआई ने कहा- बाढ़ से 15 हजार करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली – एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार, बिपरजॉय और मानसूनी बाढ़ की वजह से देश को 10,000-15,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण वैश्विक स्तर पर कुल 273 अरब डॉलर की आिर्थक हानि हुई, उसमें से 125 अरब डॉलर की इंश्योरेंस के जरिये रिकवर कर लिए गए। भारत में केवल 8% नुकसान ही इंश्योरेंस से कवर हो पाता है। वहीं, भारत में 2020 में बाढ़ से कुल आर्थिक नुकसान 7.5 रब डॉलर (52,500 करोड़ रुपए) का था. लेकिन बीमा कवर केवल 11 प्रतिशत था। यदि सरकार ने बीमा किया होता तो करीब 60 हजार करोड़ रुपए का नुकसान 13 से 15 हजार करोड़ रुपए तक सीमित रह जाता।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को प्राकृतिक आपदाओं के लिए ‘आउट-ऑफ-द-बॉक्स समाधान’ की आवश्यकता है। एमएसएमई क्षेत्र में, देश में केवल पांच फीसदी यूनिट बीमाकृत हैं। इस क्षेत्र को उच्च स्तरीय सुरक्षा की जरूरत है।

अमेरिका-चीन के बाद सबसे अधिक आपदाएं भारत में

1990 के बाद अमेरिका और चीन के बाद सबसे अधिक प्राकृतिक आपदाएं भारत में ही आईं। 1990 से 2022 तक 32 साल में कुल 763 प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिनमें से 1990 से साल 2000 तक 10 साल में 402 और इसके बाद अगले 22 साल में 361 आपदाएं आईं। इनमें भी सबसे अधिक 41 फीसदी बाढ़ और इसके बाद तूफान के रूप में आई।

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