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सफलता की कहानी स्व-सहायता समूह से जुडकर खरीदी टमटम,टमटम बनी जीवन का सहारा..

भिण्ड :

स्व-सहायता समूह से जुडकर महिलायें आत्मनिर्भर तो बनी हैं। साथ ही समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। समूह से जुडकर महिलाऐं अपने हुनर के अनुसार कार्य कर रही हैं।
लहार विकास खण्ड के ग्राम अदलीशपुरा में भीमाबाई आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़कर म.प्र.ग्रामीण बैंक शाखा लहार से सी.सी.एल. ऋण से 50 हजार रूपये लिये जिससे टमटम (इलेक्ट्रानिक आटो रिक्सा) लिया। इलेक्ट्रानिक आटो रिक्सा से प्राप्त होेने वाली इनकम से विनीता देवी अब अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं। यह सब म.प्र.डे. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से साकार हुआ हैै।
विनीता देवी बताती हैं कि मैं ग्राम अदलीशपुरा में रहती हूँ। मेरे पति राजमिस्त्री के साथ मजदूरी का काम करते हैं। जिससे हमारा जीवन बहुत ही परेशानी से चल रहा था कभी मजदूरी मिलती कभी नहीं मिलती। वारिस में तो काम ही बन्द हो जाता था। मेरे दो बच्चे हैं। पैसों की कमी के चलते उनकी शिक्षा भी बडी मुश्किल से चल पा रहा थी। एक दिन हमारे ग्राम में सी.आर.पी. संध्या दीदी आई उन्होंने हमें स्व-सहायता समूह के बारे में बताया एवं बताया कि समूह में जुडने के बाद हमें समूह से कम व्याज पर रूपये उधार मिल जाते हैं एवं उससे रोजगार आजीविका की गतिविधि प्रारंभ कर सकते हैं।
हम ग्राम की दीदियों से मिलकर भीमाबाई आजीविका स्व सहायता समूह बनाया। हम प्रत्येक सप्ताह 20-20 रू. बचत करने लगे उसके बाद हमें म.प्र.डे.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन लहार जिला भिण्ड म.प्र. से 11000/- रूपये चक्रीय राशि प्राप्त हुई। जिससे हमने छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगी उसके बाद हमें रानीलक्ष्मीबाई आजीविका ग्राम संगठन से 80000/- रूपये का ऋण मिला जिससे मैंने 40000/- ऋण लिया उसके बाद म.प्र.ग्रामीण बैंक शाखा लहार से सी.सी.एल. ऋण से 50000ध्- रूपये लिये जिससे टमटम (इलेक्ट्रानिक आटो रिक्सा) लिया। उसे मेरा लड़का दीपक चलाता है। उससे हमें प्रतिदिन 500/-रूपये 15000/- मासिक आय होने लगी है। उसमें हम 5000/- रूपये सी.सी. एल. की किस्त जमा कर देते हैं एवं 10000/- रूपये से हमारा खर्चा आराम से चल रहा है। हम अब बहुत खुश हैं। मैं और मेरा परिवार आजीविका मिशन का हमेशा आभारी है जिसने हमें आजीविका का साधन दिया।

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