घनघोर जंगल के बीच बसा है सिद्ध आश्रम आमझिर: पवित्र कुंड का कभी नहीं सूखता पानी
ऋषि मुनियों की माना जाता है इस सिद्ध आश्रम को

आनंदपुर डेस्क : सीताराम वाघेला
भीषण गर्मी के मौसम में छोटे बड़े सभी प्रकार के जल स्रोत भी सूख रहे हैं। पशु पक्षी सभी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। ऐसी भयानक गर्मी और पानी की कमी के बीच लटेरी तहसील के सिद्ध आश्रम आमझिर में एक छोटी कुईयां/ कुंड में आज भी कंचन दूधिया पानी भरा हुआ हैं। इस कुंड की यह खासियत हैं कि इसमें बारह महीने पानी भरा रहता हैं। कभी नहीं सूखता। इसकी लंबाई चौड़ई मात्र 8×6 और गहराई भी मुश्किल से 5- 6 फीट होगी।
5- 6 पीपा पानी उधार लिया था घी समझ कर
ग्राम महोटी निवासी रघुवीर सिंह कुशवाहा उम्र 65 वर्ष, ओमप्रकाश कुशवाह उम्र 45 वर्ष मैं बताया कि हम अपने जन्म से ही आमझिर में इस पवित्र कुंड है इसमें पानी देखते आए हैं चाहे कितनी ही भीषण गर्मी क्यों ना पड़ जाए सब में सुखा भी पड़ जाए तो भी इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता। बताते हैं कि लगभग 100 वर्ष पहले सियाराम बाबा ने सिद्ध आश्रम पर आसपास के ग्रामीण जनों के सहयोग से शुद्ध देसी घी का विशाल भंडारा कराया था उस समय भंडारे में घी कम पड़ गया तब बाबा ने कहा था कि गंगा माई के कुंड में से पानी को घी समझ कर उधार ले आओ तब ग्रामीण उनके शिष्यों ने उस कुंड में से 5- 6 पीपा पानी लाकर कढ़ाई में डाल दिया। सब लोग अचरज में पड़ गए उन्होंने ग्रामीण में सोचा कि यह पानी में कैसे मालपुआ कैसे निकाल सकते है लेकिन जैसे ही कुंड में से पानी लाकर कढ़ाई में डाला तो वह घी के रूप में परिवर्तित हो गया इस प्रकार पूरा विशाल भंडारा संपन्न हुआ तब से ही यह सिद्ध आश्रम पूरे क्षेत्र में और प्रसिद्धि हो गया।
एक गुफा मदागन तो दूसरी गुफा प्रयागराज तक जाती है
नशोवर्री के समाजसेवी डॉ संजय शर्मा ने बताया कि एक समय सिरोंज के मदन मोहन सरकार मंदिर से बैलगाड़ी से तुलसी विवाह के लिए सिद्ध आश्रम आमझिर पर बरात लगी थी उस समय शुद्ध देसी घी के मालपुआ का विशाल भंडारा था बाबा के शिष्यों में आकर बताया कि बाबा भंडारे में घी कम पड़ गया है तब सियाराम बाबा ने कहा कि गंगा जी के कुंड में से 6 पीपा पानी लाकर कढ़ाई में डाल दो बाबा के शिष्यों ने ऐसा ही किया उस पानी में से मालपुआ निकल गए लेकिन कोई भी यह महसूस नहीं कर सका की है मालपुआ घी के हैं की पानी के, जैसे ही तुलसी विवाह संपन्न हुआ बाबा ने 6 पीपा घी बाबा ने उसे पवित्र कुंड में डलवा दिया। जो पानी पवित्र कुंड में से घी मानकर उधार लिया था।
यह पवित्र आमझिर का सिद्ध आश्रम अगस्त मुनि के परम शिष्य सुतीकक्ष्ण की तपोभूमि है। यह पर अनेकों गुफाएं भी हैं जिनमें से दो प्रमुख गुफाएं बताई जातो हैं एक गुफा बड़ी मदागन पहुंचती है तो दूसरी गुफा प्रयागराज उत्तर प्रदेश तक पहुंचाने की बताई जाती है। लेकिन इन दोनों गुफाओं को कुछ समय पहले ही बंद कर दिया गया है। इसी तरह इस क्षेत्र में एक दो नहीं दर्जनों गुफाएं भी हैं जहां यह सिद्ध करती हैं कि यहां पर ऋषि मुनि तपस्या करते थे।
साथ ही बताया कि इसी जगह 11 चरण चिह्न भी है यह चरण चिन्ह देखने में ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे किसी ने गीली मिट्टी पर अपने पैर रख दिए हो लेकिन वास्तव में यह चरण चिन्ह लाल पत्थर पर बने है।
आज से लगभग 15 वर्ष पहले सिद्ध आश्रम तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी नहीं था उस समय मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने यहां तक पहुंचाने के लिए पक्की सड़क का निर्माण कराया था।
सामाजिक संगठन जन चेतना मंच के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह पाटीदार ने बताया कि यह ऐतिहासिक पवित्र धार्मिक स्थल है यहां पर वाकई चमत्कारी शक्तियों का वास है सियाराम बाबा की कृपा से यहां सारे कार्य आसानी से संपन्न हो जाते हैं घनघोर जंगल के बीच में बसा आमझिर का सिद्ध आश्रम हमारे क्षेत्र के लिए एक तीर्थ से काम नहीं है।
ग्रामीण और बताते हैं कि सियाराम बाबा इस सिद्ध आश्रम पर जब तपस्या करते थे तो उसे समय शेर भी उनके पास आकर बैठ जाता था सियाराम बाबा बहुत ही दिव्या और चमत्कारी के शक्तियों के धनी थे। अभी वर्तमान में श्री श्री 108 महंत पुरुषोत्तम दास जी महाराज इस सिद्ध आश्रम की देखभाल कर रहे हैं।