अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ गूंजी किलकारियां: 40 परिवारों में प्रसव हुए, 23 घरों में जन्मीं बेटी तो 17 घरों में बेटे के जन्म से आईं खुशियां

न्यूज़ डेस्क :

भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन को हर किसी ने अपने-अपने अंदाज में खास बनाया। चारों तरफ पूजा-पाठ और भगवान की आराधना में लोग डूबे थे। इसी दौरान सागर के अस्पतालों में किलकारियां गूंजी। सागर के अलग-अलग अस्पतालों में सोमवार को 40 परिवारों की महिलाओं ने अपने जीवन में यादगार बनाया। इन महिलाओं ने सोमवार को बेटे या बेटियों को जन्म दिया। जिनमें 23 बेटियां और 17 बेटे जन्में हैं।

हिंदू परिवारों के लोग इन बच्चों को भगवान राम और सीता द्वारा दी गई सौगात मान रहे हैं। सनातन धर्म को मानने वाले 22 परिवारों की महिलाओं ने अपने डॉक्टरों से 22 जनवरी को प्रसव कराने की इच्छा जाहिर की थी। इनमें ज्यादातर महिलाओं के लिए डॉक्टर ने 24 से 30 जनवरी के बीच की तारीख दी थी। 22 जनवरी का दिन यादगार बनाने के लिए वे एक माह से डॉक्टरों से लगातार परामर्श ले रही थीं। 21 जनवरी को ही यह महिलाएं सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती हो गई थीं। डॉक्टरों के अनुसार इनमें 18 महिलाओं के सामान्य प्रसव हुए हैं। जबकि 22 महि​लाओं ने ऑपरेशन के जरिए नवजात काे जन्म दिया है।

जिला अस्पताल में हुए 16 प्रसव
जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. अभिषेक ठाकुर ने बताया कि रविवार की रात 12 से लेकर सोमवार की शाम 7 बजे तक डफरिन अस्पताल में कुल 16 महिलाओं के प्रसव कराए गए हैं। इनमें 9 महिलाओं ने बेटियों और 7 ने बेटों को जन्म दिया है। 8 महिलाओं का सामान्य प्रसव व 8 महिलाओं का ऑपरेशन से प्रसव हुआ है।
बीएमसी में 16 डिलीवरी हुई, 10 सामान्य
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में सोमवार को कुल 16 महिलाओं के प्रसव कराए गए। गायनी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जागृति किरण नागर ने बताया कि 8 महिलाओं ने बेटों और 8 ने बेटियों को जन्म दिया है। 10 महिलाओं के सामान्य प्रसव हुए हैं। जबकि 6 महिलाओं के सीजर ऑपरेशन किए गए हैं। वहीं स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका जैन ने बताया कि अस्पताल में सोमवार को 8 महिलाओं के प्रसव हुए हैं। 6 परिवारों की महिलाओं ने बेटी को जन्म दिया है। जबकि 2 घरों में बेटे जन्में हैं।

Exit mobile version