MP के सांची स्तूप को देखकर दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिनिधि हुए मंत्रमुग्ध, यूनेस्को सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस के लिए डेलिगेट्स भोपाल पहुंचे

रायसेन डेस्क :

विरासतीय स्थलों के संरक्षण, विकास और चुनौतियों पर मंथन करने के लिए 17 और 18 अप्रैल को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर (मिंटो हॉल) में उप-क्षेत्रीय सम्मेलन (सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस) का आयोजन होगा। यह यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन), पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं पर्यटन और संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। कॉन्फ्रेंस में भारत सहित भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका और देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधि शहर पहुंच चुके हैं।

दक्षिण एशियाई देशों से आए प्रतिनिधियों ने रविवार दोपहर को सांची भ्रमण किया। प्रतिनिधियों का सांची के एमपीटी गेटवे रिट्रीट में पारंपरिक रूप से स्वागत किया। जिसके बाद उन्होंने ऐतिहासिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, सांची के स्तूप देखें। पुरातत्व संग्रहालय भी गए और शाम को लाइट एंड साउंड शो से सांची के महान इतिहास को समझा। सांची स्तूप की अनूठी वास्तुकलां, समृद्ध इतिहास और प्रेम व शांति का संदेश देती संचरनाओं ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश विशाल विरासत वाला एक अनूठा राज्य है और एशिया के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है।

ये प्रतिनिधि हुए शामिल
बांग्लादेश से सुब्रत भौमिक और डॉ. शौकत इमाम खान, भूटान से त्शेरिंग नामग्याल, जोंगखा और कर्मा तेनजिन, मालदीव से ऐशथ मुनीजा और वास्तुकार मौरूफ जमील, नेपाल से डॉ. सुरेश सुरस श्रेष्ठ और हिमाल कुमार उप्रेती, लुंबिनी (भगवान बुद्ध का जन्मस्थान) श्रीलंका से सोमरत्ने विदनापथिराना और श्रीलंका के केंद्रीय सांस्कृतिक कोष के महानिदेशक प्रो. गामिनी रणसिंघे सहित 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने सांची भ्रमण किया।

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