एक शाम माता रमाबाई अंबेडकर के नाम: इंदर सिंह भील बोले – महापुरुषों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेने की जरूरत

आनंदपुर डेस्क :

अंबेडकर युवा समिति ग्राम कालादेव के तत्वधान में त्यागमूर्ति माता रमाबाई अंबेडकर की जयंती का भव्य आयोजन किया गया कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजन गायक ब्रजेश कुमार सिरोंज व
गायिका बबीता प्रजापति अशोकनगर मिशनरी गीत और गजलों की शानदार प्रस्तुति देकर भरपूर वाहवाही बटोरी साथ ही एक से बढ़कर एक माता रमाबाई के जीवन पर आधारित है गीत और गजल सुनाएं की उपस्थिति सभी जन खेत में वाकई माता रमाबाई त्याग और बलिदान की जीती जागती मूर्ति थी जिसके चलते बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विदेश में जाकर अपनी पढ़ाई हासिल कर सके।
कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों में इंदर सिंह भील सरपंच प्रतिनिधि हरिमोहन अहिरवार आज आप ब्लॉक अध्यक्ष पीएस प्रभाकर ब्लॉक अध्यक्ष अहिरवार समाज संघ भारत, हनुमत सिंह अहिरवार आदि ने सभी महापुरुषों के छाया चित्र पर पुष्प माला अर्पित कर मोमबत्ती जलाकर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ कराया।
भजन गायक कलाकारों ने भी अपने सु मधुर स्वर में गीत और गजलों की ऐसी समा बांधी की पता ही नहीं चला कि सुबह के 5:00 बज गए इस अवसर पर सैकड़ों की तादात में महिलाएं सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

वक्ताओं का वक्तव्य :

वक्ताओं में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ब्लॉक अध्यक्ष इंदर सिंह भील ने कहा कि त्याग मूर्ति माता रमाबाई के जीवन से सभी महिलाओं को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है ऐसी विकट परिस्थितियों में जिस तरह से उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर की पढ़ाई के लिए संघर्ष किया है ऐसा संघर्ष शायद ही आज कोई कर सके।
अजाक्स ब्लॉक अध्यक्ष हरिमोहन अहिरवार ने बताया कि बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनसंगिनी त्यागमूर्ति माता रमाबाई को पढ़ पाना और समझ पाना कोई हंसी खेल नहीं है ऐसी विकट परिस्थितियों में उन्होंने पाई पाई जोड़ कर बाबासाहेब आंबेडकर की विदेश में पढ़ाई के लिए पैसे भी की थी इसी बीच उन्होंने अपने चार चार बच्चों को इस समाज के लिए कुर्बान भी कर दिए लेकिन बाबा साहेब की पढ़ाई में पैसे की कभी कमी नहीं आने दी ऐसी त्यागमूर्ति माता रमाबाई के जीवन से सभी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है यदि माता रमाबाई ना होती तो आज बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर नहीं होते।
पी एस प्रभाकर ने कहां की महापुरुषों को पढ़ना तो आसान है लेकिन उन्हें अपने जीवन में उतार पाना उतना ही कठिन किताबी ज्ञान तो कोई भी हासिल कर लेता है लेकिन वास्तविक जीवन में सामाजिक ज्ञान हर कोई अर्जित नहीं कर पाता किताबी ज्ञान तो सिर्फ किताबों तक ही सीमित होता है व्यवहारिक जीवन का ज्ञान तो व्यक्ति कर लेता है वह समाज में एक जागरूक और अच्छा नागरिक कहलाता है हमें सभी महापुरुषों को पढ़ना चाहिए और अपने जीवन में उतारना चाहिए।

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