मध्यप्रदेश में आसान हुई मेडिकल की पढ़ाई: भोपाल के MGM में आईं 4500 हिंदी किताबें, अब हिंदी में भी परीक्षा दे सकेंगे

भोपाल डेस्क :

सबसे पहले मेडिकल की पढ़ाई हिंदी भाषा में करवाने में एमपी में इस नई व्यवस्था का एक वर्ष पूर्ण हो चुका है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में हिंदी में छपी पाठ्य पुस्तकें भी पहुंच चुकी हैं। शुरुआत में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो-केमेस्ट्री जैसे विषय की पढ़ाई हिंदी में हो रही है। अलग-अलग विषय की करीबन 4500 हिंदी किताबें भी आ चुकी हैं।

सेकंड और थर्ड ईयर के छात्रों के लिए भी इस महीने के अंत किताबें हिंदी में आ जाएंगी। इससे हिंदी मीडियम से अपनी शुरुआती पढ़ाई करने वाले छात्रों को खासी राहत मिलने लगी है। खास बात यह है कि छात्र परीक्षा भी हिंदी में दे सकेंगे। उन्हें हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जवाब लिखने की छूट रहेगी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद अब प्रोफेसर भी छात्रों को हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषा में सिलेबस पढ़ा रहे हैं।

फर्स्ट ईयर की किताबें आईं, सेकंड की आएंगी

कॉलेज के लाइब्रेरियन अविनाश भार्गव बताते हैं कि अब तक 13 विषय की 4500 किताबें हिंदी भाषा की आ चुकी हैं। फर्स्ट ईयर के तीन विषय एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो-केमेस्ट्री की किताबें छात्रों को पढ़ने के लिए दी जा चुकी हैं। थर्ड और फाइनल ईयर के 7 विषयों की किताबें भी लाइब्रेरी में आ गई हंै। केवल सेकंड ईयर की किताबें रह गईं, जो इस महीने के आखिर तक आ जाएंगी। मेडिकल की किताबों का अंग्रेजी से हिंदी में ट्रांसलेशन कराने और छापने में सरकार ने 16 लाख रुपए खर्च किए हैं। फस्ट ईयर के तीन विषयों (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो-केमेस्ट्री) की हिंदी किताबों में छात्रों की रुचि देखने को मिल रही है।

तकनीकी पहलू आसानी से समझ पा रहे

हिंदी किताबें आने से पढ़ाई आसान हुई। पहले हम विषय को हिंदी में पढ़कर समझते हैं, फिर वही अंग्रेजी में पढ़ते हैं। इससे बहुत सारे तकनीकी पहलू आसानी से समझ पा रहे हैं। -छाया राठौर, छात्रा

​​​​​​​मैंने शुरू से हिंदी मीडियम में पढ़ाई की है। जब से हिंदी में किताबें आई हैं, तब से पढ़ाई में आसानी हो गई है। प्रोफेसर हिंदी और इंग्लिश दोनों में पढ़ाते हैं, ताकि सभी टर्मोनोलॉजी समझ में आए। -अंजलि चौहान, छात्रा (मुरैना से पढ़ने आई हैं।)

हिंदी भाषा में किताबें आने से आत्मविश्वास बढ़ा है। पढ़ाई की बड़ी बाधा खत्म हुई है। हिंदी मीडियम का स्टूडेंट्स होने से मन में मेडिकल की पढ़ाई करने डर था। -सुधांशु कुमार, छात्र

अब छात्रों की अंग्रेजी की समस्या भी दूर हुई

एमबीबीएस की किताबें हिंदी में आने से स्टूडेंट्स के लिए सुविधा बढ़ी है। जिनके लिए अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई में बाधा थी, उन्हें सबसे अधिक फायदा मिल रहा है। फर्स्ट ईयर के बाद जल्द सेकंड और थर्ड ईयर की किताबें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। -डॉ. संजय दीक्षित, अधिष्ठाता एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी एमजीएम मेडिकल कॉलेज

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