शिक्षा के मंदिर में शराब और मुर्गा पार्टी: तीन शिक्षक सस्पेंड
बच्चे के एडमिशन के बदले मांगा मुर्गा और शराब
न्यूज़ डेस्क :
‘सर अक्सर शराब पीकर स्कूल आते हैं। एक बार तो सर ने पेंट में पेशाब कर दी थी। प्रधान पाठक तो नदी के पास गिर पड़े थे। इसके बाद वे गालियां देने लगे। शायद उन्होंने भी शराब पी रखी होगी। पढ़ाने का कहो तो कहते हैं बहुत काम है।’
यह कहना है कि बुरहानपुर जिले की ग्राम सोनुद स्थित प्राथमिक स्कूल के छात्रों का। यहां स्कूल में शराब और मुर्गा पार्टी करते शिक्षकों का वीडियो सामने आया था। ग्रामीणों का आरोप है कि इन शिक्षकों ने एक बच्चे के एडमिशन के बदले में शराब और मुर्गा की रिश्वत ली थी। इधर, कलेक्टर भव्या मित्तल ने 1 अगस्त मंगलवार देर रात तीनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय संकुल केंद्र नावरा किया गया है।
28 जुलाई को शिक्षकों ने की थी मुर्गा पार्टी
ग्रामीणों ने बताया कि 28 जुलाई शुक्रवार को शिक्षकों ने दोपहर 2.45 बजे स्कूल की छुट्टी कर दी थी। इसके बाद प्रधान पाठक नवल राठौड़, शिक्षक अरुण पंधारे और शिक्षक सिकराम पवार मुर्गा और शराब पार्टी में लगे रहे। ग्रामीणों ने इसका वीडियो बना लिया। शिकायत के बावजूद जब कार्रवाई नहीं हुई तो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया।
ग्रामीण पवन ओहान ने बताया कि शिक्षकों ने दो बच्चों का एडमिशन करवाने के लिए मुर्गा लिया था। स्कूल बंद कर शिक्षकों ने बच्चों से कहा कि हमें एक मीटिंग में जाना है, स्कूल की छुट्टी हो गई है। पार्टी के दौरान तीनों शिक्षक गाने सुनते-सुनते शराब पी रहे थे। हम पहले भी कई बार प्रधान पाठक को हटवाने की मांग कर चुके हैं।
दो शिक्षक रह चुके छात्रावास अधीक्षक
नेपानगर में स्कूल जनजातीय विभाग संचालित करता है। अधिकांश शिक्षकों को ही छात्रावास अधीक्षक भी बनाया जाता है। शिक्षक अरुण पंधारे को डवाली खुर्द स्थित आदिवासी छात्रावास का अधीक्षक बनाया गया था, लेकिन उनके समय में यह छात्रावास बंद हो गया। इसका कारण बताया गया कि छात्रावास में रहने के लिए आदिवासी विद्यार्थी नहीं मिल रहे हैं।
छात्रावास में अधीक्षक रहते हुए पंधारे पर आरोप लगा था कि वे छात्रावास का सामान वाहन में भर ले गए हैं। हालांकि बाद में उन्हें सामान वापस करना पड़ा। शिक्षक सिकराम पवार भी सातपायरी में छात्रावास अधीक्षक रह चुके हैं। विवादित कार्यशैली के कारण उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद उनकी पदस्थापना शिक्षक के बतौर सोनुद में की गई।
प्रधान पाठक बोले- मुर्गा खाया, लेकिन शराब नहीं पी थी
निलंबित प्रधान पाठक नवल सिंह का कहना है कि एक ग्रामीण ने दोपहर में खाना खाने बुलाया था। इसलिए चले गए। वहां मुर्गा खाया, लेकिन शराब नहीं पी थी। उस दिन 3 बजे गए थे। हमने पहले छुट्टी कर दी थी। कुछ बच्चों की आंखों में इंफेक्शन था। हमारी भी आंखें आई थीं, इसलिए भी जल्दी छुट्टी कर दी थी। यही थोड़ी सी गलती हमसे हो गई।
शिक्षक अरुण पंधारे को कॉल किया तो उन्होंने ‘रॉन्ग नंबर है भैया’ यह कहकर फोन काट दिया।
शिक्षक सिकराम पवार ने कहा जो होना था वह हो गया। कुछ लोगों ने मैटर जबरदस्ती में उठाया है। जांच के लिए आए थे।
कलेक्टर बोलीं- निलंबित किया, विभागीय जांच भी होगी
मामले में कलेक्टर भव्या मित्तल ने कहा कि तीनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। साथ ही उनकी विभागीय जांच भी कराई जा रही है। जनजातीय विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त रविंद्र महाजन ने कहा कि 45 दिन के भीतर उन्हें आरोप पत्र भी दिया जाएगा। इसके बाद उनकी विभागीय जांच भी चलती रहेगी। फिलहाल उन्हें निलंबित कर मुख्यालय नावरा किया गया है।
45 दिन में आरोप पत्र नहीं दिया तो हो जाएंगे बहाल
नियमानुसार 45 दिन के भीतर निलंबित हुए शिक्षक को आरोप पत्र दिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर 45 दिन बाद विभागीय नियम के अनुसार शिक्षक खुद ही बहाल हो जाता है। खास बात यह है कि अब तक कई छात्रावास अधीक्षक और शिक्षक ऐसे हैं जिनका निलंबन हुआ था, लेकिन आरोप पत्र नहीं मिलने के कारण 45 दिन बाद वे खुद ही बहाल हो गए।