राजनीति में सक्रिय रहे डॉक्टर: लेकिन कोई चिकित्सा मंत्री नहीं बन पाया, विभाग मिले तो ऊर्जा-परिवहन जैसे

जयपुर डेस्क :

आम आदमी की नब्ज डॉक्टर से ज्यादा कौन जान सकता है? इसी धारणा से सियासी दल डॉक्टरों को चुनाव लड़वाते आए हैं। कई डॉक्टर चुनाव जीतकर विधायक भी बनते रहे हैं लेकिन भाजपा हो या कांग्रेस, किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री का जिम्मा डॉक्टर विधायक को नहीं सौंपा।

प्रदेश में ऐसे 20 डॉक्टर राजनीति में सक्रिय रहे हैं और ऊर्जा, परिवहन जैसे विभागों की जिम्मेदारी उन्हें मिलती रही है लेकिन चिकित्सा विभाग में किसी डॉक्टर को अब तक राज्य मंत्री भी नहीं बनाया गया। उधर, केन्द्र सरकार में अब तक दो डॉक्टर ही स्वास्थ्य मंत्री बने हैं- डॉ. हर्षवर्धन और डॉ. अंबूमणि। राजस्थान में कोई भी डॉक्टर सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंचा लेकिन जम्मू-कश्मीर में डॉ. फारूख अब्दुल्ला, तमिलनाडु में डॉ. वाईएसआर रेड्डी और पश्चिम बंगाल में डॉ. विधानचंद राय सीएम रह चुके हैं।

ये डॉक्टर सक्रिय या इन पर पार्टियों की नजर

  • डॉ. ईश मुंजाल : मेंबर, स्टेट गवर्नमेंट बॉडी, एनएचएम, कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष।
  • डॉ. एसएस अग्रवाल : जोधपुर एम्स प्रेसिडेंट।
  • डॉ. आरसी यादव : जेएमए प्रेसीडेंट व चुनाव लड़ चुके।
  • डॉ. वीरेन्द्र सिंह : एसएमएस सुपरिटेडेंट रह चुके, आप से चुनाव लड़े।
  • डॉ. ज्योति मिर्धा : पूर्व सांसद, नागौर।
  • डॉ. शिखा बराला : सचिव, कांग्रेस।
  • डॉ. माधव सिंह : भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष।
  • डॉ. प्रियंका चौधरी : बाड़मेर से भाजपा से चुनाव लड़ीं।
  • डॉ. रत्ना जैन : कोटा की पूर्व मेयर।
  • डॉ. मुकेश कुमार मौर्य : ब्यावर नगर परिषद चेयरमैन।

(इनके अलावा भी 9 से 10 डॉक्टर राजनीति से जुड़े हैं।)

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