भोपाल

प्रदेश की राजधानी भोपाल के मास्टर प्लान पर बीजेपी विधायक ने उठाए सवाल: रामेश्वर शर्मा बोले-यह शहर की 35 लाख आबादी के साथ धोखा; इसे निरस्त कर फिर से बनाया जाए

भोपाल डेस्क :

भोपाल मास्टर प्लान-2031 पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने सवाल उठाए हैं। गुरुवार को प्रस्तावित मास्टर प्लान पर प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई के दौरान विधायक शर्मा ने प्लान के प्रस्तावों पर आपत्ति जताते हुए जमकर नाराजगी जाहिर की। मास्टर प्लान पर प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई नगरीय आवास एवं विकास विभाग के उपसचिव केवीएस चौधरी ने की। जिसमें विधायक शर्मा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।

मास्टर प्लान के प्रस्तावों पर सख्त नाराजगी जताते हुए विधायक शर्मा ने कहा, प्रस्तावित मास्टर प्लान बिना भौतिक सत्यापन किए, शहर की परिस्थितियों को समझे बिना ही आंख बंद करके बना दिया गया है। यह शहर की 35 लाख आबादी के साथ धोखा है। 60–70 वर्षों से लेकर 100 साल तक पुराने गांव हैं, जो कि अब नगर निगम सीमा में है। उनकी भूमि एग्रीकल्चर थी। अब उनकी भूमि को ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट में डाल दिया गया है। जिसके कारण वह अपनी भूमि पर खेती से संबंधित भी कोई उपक्रम या डेयरी आदि भी संचालित नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनके बेटा-बेटी कहां जाएंगे। इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। ऐसे किसानों के परिवार का जीवन-यापन कैसे होगा? मास्टर प्लान इंसानों के लिए होता है लेकिन प्रस्तावित प्लान से इंसानों को बेघर किया जा रहा है। कलेक्टर के आदेश से जिन बस्तियां को पुनः बसाया गया है, उसे भी कैचमेंट में डाल दिया गया है।

नीलबड़ की 45 कॉलोनियों सहित रातीबड़, नीलबड़ एवं अन्य क्षेत्रों में सैकड़ों अवैध कॉलोनियों को मुख्यमंत्रीजी ने वैध घोषित किया है, लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में इस एरिया को कैचमेंट में डालकर लोगों को बेघर करने का काम किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं है। विधायक शर्मा ने कहा, ऐसा मास्टर प्लान बनाइए कि आम नागरिक का भला हो, उसके बेटा-बेटी रहने के लिए घर बना सके, उसे सुविधा मिल सके, अस्पताल बन सके, स्कूल बन सके, सड़कें बन सके, आसपास व्यवसायिक परिसरों का निर्माण हो सके। प्लान ऐसा नहीं होना चाहिए कि शहर के विकास में बाधा बने और लोगों को परेशानी में डालें।

जहां खेत है, वहां जंगल न बनाएं
विधायक शर्मा ने कहा, मास्टर प्लान भौतिक सत्यापन करके ही बनना चाहिए। जहां खेत है उसे जंगल मत बनाइए। खेत को आवासीय करें या कम से कम उसे कृषि भूमि तो रहने ही दीजिए, लेकिन उसे ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट में ना डालिए। खेती की जमीन को ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट में डालने से किसान अपने स्वयं के लिए भी छोटा सा भी निर्माण नहीं कर पाएगा यह अन्याय है।

भोपाल को वर्टिकल बढ़ाएं
विधायक शर्मा ने कहा कि भोपाल को फैलाने के बजाए वर्टिकल बढ़ाना चाहिए। इसके लिए एफएआर बढ़ाना पड़ेगा। प्रस्तावित प्लान में एफएआर घटा दिया गया है। कोलार जो पहले नगर पालिका की सीमा में था वहां 8–9 मंजिल तक की परमिशन मिली है, लेकिन अब नगर निगम सीमा में है तो प्रस्तावित मास्टर प्लान में उसे कम कर सीमित किया जा रहा है। यह सरासर अन्याय है। भूमि की कमी के कारण सीएम राइज स्कूलों की बिल्डिंग मल्टी स्टोरी बनाई जा रही है, लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में घरों को छोटा किया जा रहा है यह कहां से उचित है। इससे भोपाल में भूमि की कमी होगी और भोपाल अन्य शहरों की ओर फैलता जाएगा, जबकि आवश्यकता इस बात की है कि भोपाल को वर्टिकल फैलाया जाए और हाई राइज बिल्डिंग की अनुमति ज्यादा से ज्यादा दी जाए।

सड़कें बन रही लेकिन उसके आसपास के डेवलपमेंट पर ध्यान नहीं
विधायक शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित मास्टर प्लान शायद आंख बंद करके चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है। शहर के अंदर सरकार सिक्सलेन और फोरलेन सड़कें बना रही हैं, लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में इन सड़कों के आसपास के डेवलपमेंट की कोई योजना नहीं दिखाई पड़ती। मास्टर प्लान ऐसा हो कि औद्योगिक विकास हो, व्यवसायिक विकास हो, पर्यटन का विकास हो और लोग रहने के लिए आसानी से अपना घर बना सकें। लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में इन सारी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया है।

दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर भोपाल का मास्टर प्लान बने
विधायक ने कहा कि भोपाल अपनी खूबसूरती, प्राकृतिक वातावरण और शांति के साथ कारण देशभर के लोगों के निवास और व्यवसाय का केंद्र बनते जा रहा है। इसीलिए भोपाल का मास्टर प्लान दिल्ली-एनसीआर और मुंबई बैंगलुरु की तर्ज पर ही बनना चाहिए। इस प्लान में ज्यादा से ज्यादा एफएआर लागू कर हाई राइज बिल्डिंग को प्रमोट करना चाहिए। प्रस्तावित मास्टर प्लान के अनुसार चले तो लोग मजबूरी में अवैध निर्माण को प्रोत्साहित होंगे। पूर्व में भी एफएआर कम होने के कारण भोपाल में 5 हजार से अधिक लोगों ने कंपाउंडिंग करवाई है और हजारों एप्लीकेशन पेंडिंग है। मास्टर प्लान ऐसा होना चाहिए कि लोगों को कंपाउंडिंग की जरूरत कम से कम पड़े और लोग लीगल निर्माण के लिए प्रोत्साहित हों।

पहले जोन वाइस प्लान बने
विधायक शर्मा ने कहा कि शहर का भौतिक सत्यापन कर सबसे पहले जोन वाइस प्लान घोषित करना चाहिए और फिर पूरे शहर का मास्टर प्लान जारी करना चाहिए। सरकार की मंशा है कि हर शहर स्मार्ट हो, हर चीज नजदीक हो, लोग आसानी से घर बना सके, अस्पताल बने, स्कूल बने, सुविधा की सारी वस्तुएं आसपास हो, लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में जिस प्रकार की एफ ए आर प्रस्तावित की गई है उससे तो भोपाल में जमीन ही नहीं बचेगी।

बिना देखे मास्टर प्लान बनाने वाले की जांच हो
विधायक शर्मा ने बिना देखे मास्टर प्लान बनाने वालों की जांच करने की मांग भी की। उन्होंने आपत्तियों पर जनसुनवाई के दौरान मांग की कि जिसने भी भोपाल का मास्टर प्लान बिना देखे आंख बंद करके चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया है, उसकी जांच होना चाहिए। उस पर एफआईआर होना चाहिए और उसे नौकरी से टर्मिनेट करना चाहिए।

विधायक ने आरोप लगाया कि यह मास्टर प्लान बिना भौतिक सत्यापन किए चंद बड़े लोगों को फायदा देने के लिए बनाया गया है। इस मास्टर प्लान के लागू होने से भोपाल की 35 लाख आबादी परेशान हो जाएगी। किसानों के बच्चे जमीन होने के बाद भी बेरोजगार हो जाएंगे। छोटे प्लॉट वाले अपने प्लॉट पर निर्माण के लिए लाखों रुपए देकर एफएआर खरीदेंगे। इससे भोपाल बर्बाद हो जाएगा। यह अन्याय पूर्ण है। अतः यह प्लान कैसे बना इसकी पूरी जांच होना चाहिए।

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