हमीदिया अस्पताल में सर्जरी से पहले मरीजों काे सामान की पर्ची थमा दी जाती है

भोपाल डेस्क :
हमीदिया अस्पताल में सर्जरी से पहले मरीजों काे सामान की पर्ची थमा दी जाती है। परिजनों को बाहर के मेडिकल से यह सामान लाकर देना होता है। अगर समय पर सामान आ गया तो सर्जरी हो जाएगी, अगर नहीं आया तो सर्जरी की तारीख आगे बढ़ा दी जाती है। ऐसे ही एक मामले में महिला को 16 साल के बेटे के पैर की सर्जरी कराने के लिए जरूरी सामान गहने बेचकर लाना पड़ा।
दरअसल, भैंसदेही निवासी 16 वर्षीय रोहित डोंगरे 7 जून को सड़क हादसे में घायल हुआ था। दाहिने पैर में गंभीर चोट लगी तो परिजन उसे अस्पताल ले गए] वहां से उसे हमीदिया के लिए रैफर किया गया था। यहां डॉक्टरों ने पैर की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होना बताया और पैर को घुटने से नीचे से काटने की जरूरत बताई।
परिजनों ने इस पर सहमति दी तो सर्जरी की तैयारी कर ली गई। जिस दिन सर्जरी हुई उसी दिन सुबह पिता कल्लू डोंगरे को एक पर्ची थमाई गई, जिसमें सर्जरी के लिए जरूरी कुछ दवाएं और सामान लिखा हुआ था। तब रोहित की मां ने अपने गहने बेचकर पैसे जुटाए और यह सामान लाकर दिया। इसके बाद रोहित की सर्जरी करके पैर काटा गया।
काम नहीं आया आयुष्कान कार्ड
पीड़ित के परिजनों की मानें तो आयुष्कान कार्ड होने के बाद भी उनको अपने जेब से पैसे खर्च करने पड़े। ऑपरेशन का सामान लाने के लिए मां को अपने गहने बेचने पड़े। यह पैसा भी खर्च हो गया तो उन्होंने रिश्तेदारों से भी कुछ पैसा उधार लिया।
रीढ की हड्डी में भी चोट
रोहित की रीढ की हड्डी में भी गंभीर चोट है। ऐसे में पहले डॉक्टरों ने रीढ की हड्डी का ऑपरेशन करने की जरूरत बताई थी। हालांकि, अब डॉक्टरों का कहना है कि रीढ की हड्डी का ऑपरेशन किया तो इससे रोहित की हाईट नहीं बढ़ेगी और भविष्य में और भी परेशानियां होने की आशंका है।
“मरीज की जरूरत का सभी सामान उपलब्ध कराया जाता है। दवाओं और सामान की कमी नहीं है। मैं मरीज के परिजनों से बात करूंगा और उनको कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।”
-डॉ. आशीष गोहिया, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल
“आयुष्मान कार्ड लेकर गए थे, लेकिन ऑपरेशन के लिए कुछ सामान लाने के लिए पर्ची दी गई थी। पैसे नहीं थे। मम्मी ने अपने गहने बेचकर यह सामान खरीदा था।”
-विशाल डोंगरे, पीड़ित का भाई